अरुणाचल पर चीन की दावेदारी को अमरीका ने किया खारिज

Friday, Mar 22, 2024 - 04:53 AM (IST)

1949 में कम्युनिस्ट सरकार बनने के बाद से ही चीन दूसरे देशों के इलाकों पर कब्जा जमाता आ रहा है। यह दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जिसकी सीमाएं सबसे अधिक देशों के साथ लगती हैं और उन सभी देशों के साथ चीन का सीमा विवाद चल रहा है तथा चीनी शासकों की दबंगई तथा हठधर्मी इस क्षेत्र में तनाव का बड़ा कारण बनी हुई है। 

इसी सिलसिले में जहां चीन ने भारत के एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर रखा है, वहीं उसके द्वारा भारत के अरुणाचल पर दावेदारी भी लगातार जारी है तथा उसने इस क्षेत्र का नाम भी बदल कर ‘जंगनान’ रख दिया है। हालांकि भारत सरकार अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को बार-बार खारिज करती आई है परंतु चीनी शासक बाज नहीं आ रहे। 9 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल यात्रा तथा उनके द्वारा वहां ‘सेला सुरंग’ के उद्घाटन पर भी चीन के विदेश मंत्रालय ने 12 मार्च को आपत्ति करते हुए भारत सरकार से विरोध व्यक्त किया और उसके बाद 17 मार्च को भी अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा दोहराया। 

इस पर टिप्पणी करते हुए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि ‘‘ऐसी यात्राओं पर चीन की आपत्ति वास्तविकता को नहीं बदलेगी। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।’’ इस तरह के हालात में अब अरुणाचल पर चीन का दावा खारिज करते हुए अमरीका की जो बाइडेन सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता दी है। 20 मार्च, 2024 को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा : 

‘‘अमरीका अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है और हम चीन द्वारा घुसपैठ, सैन्य या नागरिक अतिक्रमण द्वारा क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के किसी भी एकतरफा प्रयास का दृढ़ता से विरोध करते हैं।’’ अरुणाचल के मुद्दे पर अमरीकी विदेश मंत्रालय के समर्थन से भारत का पक्ष तो मजबूत हुआ ही है परंतु चीन पर इसका कोई असर होगा इसकी संभावना कम ही प्रतीत होती है।—विजय कुमार 

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