अमरीका फर्स्ट या ट्रम्प फर्स्ट?
punjabkesari.in Monday, May 19, 2025 - 05:16 AM (IST)

‘सब कुछ अपने लिए, दूसरों के लिए कुछ नहीं’, एडम स्मिथ नामक अर्थशास्त्री ने 1776 में यूरोप के शासक वर्ग की निंदा करते हुए यह लिखा था। दूसरी ओर, जब संयुक्त राज्य अमरीका को 1776 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली, तो उसने दावा किया कि जहां अन्य लोग अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाते हैं,अमरीका सार्वभौमिक सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला अमरीकी नीति में भारी बदलाव आया। प्रसिद्ध प्रोफैसर लेखक नाओम चोम्स्की अपनी 100 वीं पुस्तक जो उन्होंने नाथन जे. रॉबिन्सन के साथ मिलकर लिखी है, में लिखा है,‘‘ अमरीका किसी भी शक्तिशाली देश की तरह ही है। यह अपनी आबादी के प्रमुख क्षेत्रों के सामरिक और आर्थिक हितों का पीछा करता है।’’
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे 1958 में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के योजना बोर्ड ने एक पेपर तैयार किया था, जिसमें कहा गया था कि ब्रिटेन कुवैत और फारस की खाड़ी पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहता था क्योंकि उसे तेल की जरूरत थी। इसमें आम कुवैती लोगों के कल्याण के बारे में नहीं सोचा गया। जब से ट्रम्प ‘अमरीका फस्र्ट’ का नारा ले कर आए हैं,सब नियम बदल गए हैं। विदेशी उदारता के प्रति खुलापन इस सप्ताह पूरी तरह से प्रदॢशत हुआ, जब अमरीकी राष्ट्रपति को इस कार्यकाल में विदेश में अपनी पहली प्रमुख राजनयिक यात्रा के दौरान खाड़ी देशों में सम्मानित किया गया। उन्होंने खरबों डॉलर के सौदे किए और स्थानीय नेताओं को निवेश के लिए प्रेरित किया, क्योंकि उनका कहना है कि वह अमरीकी विदेश नीति को ‘अमरीका फस्र्ट’ को प्राथमिकता देने के लिए फिर से बना रहे हैं। मानवाधिकारों या अंतर्राष्ट्रीय कानून की चिंताओं को एक तरफ रख रहे हैं। लेकिन इस यात्रा और नीतियों का लाभ तो ट्रम्प को भी मिला है।
प्रैस अनुमानों के अनुसार, उनके परिवार की संपत्ति में 3 बिलियन डॉलर से अधिक की वृद्धि हुई है और क्रिप्टोकरेंसी और अन्य निवेश सौदों जैसे कि ट्रम्प-ब्रांडेड पारिवारिक संपत्तियों की योजनाओं से होने वाले लाभ कहीं अधिक हो सकते हैं। ट्रम्प के करीबी व्यापारिक सहयोगियों द्वारा अरबों डॉलर के सौदे किए गए हैं, जिसका अर्थ है कि व्हाइट हाऊस के लिए उनका राजनीतिक समर्थन विदेशों में आकर्षक अनुबंधों में तबदील हो सकता है। इस सप्ताह मध्य पूर्व के अपने दौरे पर डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर के नेताओं के साथ कई अरब डॉलर के सौदों की घोषणा की। अमरीका और संयुक्त अरब अमीरात ने अबू धाबी को अमरीका के बाहर सबसे बड़े कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए.आई.) परिसर के स्थल के रूप में चुना।
सऊदी अरब ने सैमीकंडक्टर के लिए एक समान सौदा किया, जिसमें उसके सॉवरेन वैल्थ फंड के स्वामित्व वाले ए.आई. स्टार्टअप ह्यूमैन को सैंकड़ों हजारों ‘एनवीडिया ब्लैकवेल चिप्स’ की बिक्री का वादा किया गया। ये समझौते कई कारणों से उल्लेखनीय हैं। खुद को ब्रोकर-इन-चीफ बताते हुए, ट्रम्प दर्जनों सी.ई.ओ. के एक दल को मध्य पूर्व में लाए, जिसमें ‘एनवीडिया’ के जेन्सेन हुआंग, ओपन ए.आई. के सैम ऑल्टमैन, एलक मस्क, एमॉजान के एंडी जेसी, पैलंटिर के एलेक्स कार्प और दो दर्जन अन्य शामिल थे। इस सप्ताह एक विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करने वाली घटना में, कतर ने अमरीकी रक्षा विभाग को 400 मिलियन डॉलर का बोइंग 747-8 देने की पेशकश की, जिसके बारे में ट्रम्प ने सुझाव दिया था कि इसका उपयोग एयर फोर्स वन के रूप में किया जा सकता है और फिर उनके पद छोडऩे के बाद उनके राष्ट्रपति पुस्तकालय को सौंप दिया जा सकता है।
आलोचकों ने तर्क दिया है कि यह संविधान के पारिश्रमिक खंड का उल्लंघन करता है जो राष्ट्रपति को विदेशी संस्थाओं से उपहार प्राप्त करने से रोकता है। लेकिन खाड़ी देशों ने अन्य प्रोत्साहनों की पेशकश की है, जिसमें यू.ए.ई.-नियंत्रित फंड से ट्रम्प से जुड़े स्थिर मुद्रा में $2 बिलियन का निवेश शामिल है, जो राष्ट्रपति को अबू धाबी के पक्ष में विदेश नीति को आकार देने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि ट्रम्प जो चिप्स, ए.आई. बनाने में नवीनतम तकनीक को खाड़ी देशों तक पहुंचाने के लिए सौदे कर रहे हैं, वहां से यह आसानी से चीन जा सकती है, जो सऊदी, कतर और यू.ए.ई. के काफी करीब है। ट्रम्प ने पाकिस्तान के साथ भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। माना जा रहा है कि हाल ही में वल्र्ड लिबर्टी फाइनैंशियल (ङ्खरुस्न) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो एक क्रिप्टोकरेंसी कम्पनी है जिसमें अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के परिवार की कथित तौर पर 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
यह सौदा नवगठित पाकिस्तान क्रिप्टो काऊंसिल (पी.सी.सी) के साथ किया गया था, जिसने एक महीने पहले ही बिनेंस के संस्थापक चांगपेंग झाओ(सी.जैड.) को अपना सलाहकार नियुक्त किया है, जो दक्षिण एशिया का क्रिप्टो हब बनने की इस्लामाबाद की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है और साऊथ एशिया में जिससे दक्षिण एशिया न केवल अस्थिर हो सकता है, बल्कि ड्रग डीलरों का एक बड़ा केंद्र भी बन सकता है। तो क्या अब अमरीका की पालिसी ट्रम्प फर्स्ट है या अमरीका फर्स्ट है?