बारूद के ढेर पर बैठे दुनिया के सब देश

Friday, May 26, 2017 - 12:46 AM (IST)

आज लगभग समूचा विश्व ही आतंकवाद की लपेट में आया हुआ है, शायद ही कोई ऐसा देश हो जो इसकी मार से बचा हो। एक ओर जहां पाकिस्तान जैसे स्वयं आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश अपने ही पाले हुए आतंकवादियों के निशाने पर हैं तो दूसरी ओर आतंकवाद विरोधी देश भी इससे पीड़ित हैं जिसके कुछ उदाहरण निम्र में दर्ज हैं: 

14 जनवरी 2016 को फ्रांस के ‘नीस’ शहर में आतंकवादी हमले में 86 लोगों की मृत्यु और 400 से अधिक लोग घायल हुए। 08 अगस्त को पाकिस्तान में क्वेटा के एक अस्पताल में आत्मघाती बम विस्फोट में 93 से अधिक लोगों की मृत्यु और 150 से अधिक घायल। 19 दिसम्बर को जर्मनी के बर्लिन शहर में आई.एस. आतंकवादियों के हमले में 12 लोग मारे गए। 08 फरवरी 2017 को अफगानिस्तान में ‘रैडक्रास’ वर्करों पर आई.एस. आतंकवादियों के हमले में 7 लोगों की हत्या और 2 लोगों को बंधक बनाया। 11 फरवरी को अफगानिस्तान में ‘लश्करगाह’ नामक स्थान पर एक बैंक के बाहर आत्मघाती कार-बम हमले में 7 लोग मारे गए। 

19 फरवरी को मौसुल (ईराक) में आत्मघाती हमलों में 5 लोग मारे गए। 28 फरवरी को दक्षिण अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में आतंकवादियों द्वारा 12 पुलिस कर्मचारियों की हत्या। 08 मार्च को ईराक के प्रमुख शहर ‘तिकरित’ के निकट एक गांव में विवाह पार्टी पर आत्मघाती हमले में 26 लोगों की मौत हुई। 08 मार्च को ही अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के सैनिक अस्पताल पर आई.एस. आतंकियों के हमले में 40 से अधिक लोगों की जान गई। 22 मार्च 2017 को लंदन में संसद के बाहर आतंकवादी हमले में 5 लोगों की मृत्यु और 40 अन्य लोग घायल हो गए। 

23 मार्च को रूस के चेचेन्या प्रांत स्थित उसके सैन्य ठिकानों पर आतंकवादी हमले में 6 सैनिकों को जान से हाथ धोने पड़े। 07 अप्रैल को स्वीडन के स्टॉकहोम में आई.एस. आतंकवादियों के हमले में 4 लोगों की मृत्यु और 15 घायल हुए। 09 अप्रैल को मिस्र में गिरजाघरों पर हमलों में कम से कम 36 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। 28 अप्रैल को फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में एक पाइप बम धमाके में 14 लोग घायल हो गए। 21 मई को सीरिया के ‘इदलिब’ प्रांत के एक गांव में आई.एस. द्वारा सीरियाई इस्लामी विद्रोही समूह पर हमले में 21 लड़ाके मारे गए। 

22 मई को अफगानिस्तान में कंधार प्रांत के ‘शाह वली कोट’ जिले में सैन्य शिविर पर आतंकी हमले में कम से कम 10 सैनिकों की मौत। 23 मई को इंगलैंड के मैनचेस्टर में कन्सर्ट पर आई.एस. के बम हमले में अनेक बच्चों सहित 22 लोगों की मृत्यु और 59 अन्य घायल हो गए। 24 मई से फिलीपीन्स के मरावी शहर में शुरू हुई लड़ाई में अब तक 21 लोगों की मृत्यु, आई.एस. के आतंकियों ने कई इमारतें जला डालीं, एक दर्जन से अधिक कैथोलिकों को बंधक बना लिया, अपना झंडा फहराया। विस्फोटों से शहर दहल उठा। यह लेख लिखे जाने तक उपद्रव जारी थे। 

24 मई को ही इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में एक व्यस्त बस टर्मिनल पर आत्मघाती हमलावर द्वारा 2 सीरियल बम धमाकों में कम से कम 3 लोगों की मृत्यु व अनेक पुलिस अधिकारी एवं नागरिक घायल हो गए। यहां यह बात उल्लेखनीय है कि अधिकांश हमले या तो राजधानियों या अन्य महत्वपूर्ण शहरों अथवा ठिकानों पर किए गए हैं जिनसे स्पष्टï है कि आतंकवादियों के हौसले और ताकत कितनी बढ़ चुकी है। इसीलिए आज विश्व में ‘एक मिनी विश्व युद्ध’ जैसी स्थिति बन रही है तथा आतंकवाद ने प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सभी देशों को लपेट में ले रखा है। कहना कठिन है कि यदि आतंकवाद के पोषक देशों ने आतंकवादियों को शरण देना न छोड़ा तथा आतंकवाद से पीड़ित देशों ने संगठित होकर सामूहिक प्रयासों से अपने यहां चल रहे आतंकवाद के अड्डïों को समाप्त न किया तो तबाही का यह सिलसिला कहां जाकर समाप्त होगा!—विजय कुमार

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