हिमाचल की ‘कनियाल बिरादरी’ द्वारा शराब और जुए पर रोक

Tuesday, Oct 10, 2017 - 12:53 AM (IST)

आज शराबनोशी और जुआबाजी एक फैशन-सा बनती जा रही है जिससे बड़ी संख्या में परिवार तबाह हो रहे हैं। इन दोनों के ही दुष्प्रभावों को देखते हुए कुछ पंचायतों ने आगे बढ़ कर इनके विरुद्ध अभियान चलाया और इन पर रोक लगाने की कोशिश भी की है। 

इसी शृंखला में अब हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के गिरीपार क्षेत्र की कनियाल बिरादरी के लोगों ने नशाखोरी और जुएबाजी की कुप्रथा के विरुद्ध एक बड़ा फैसला लिया है। लगभग 10,000 की आबादी वाली इस बिरादरी के 500 परिवारों ने नशे और जुएबाजी के खिलाफ शिकंजा कसते हुए कसम खाई है कि भविष्य में उनके परिवार में न तो कोई शराब पिएगा, न जुआ खेलेगा और न ही विवाह-शादी पर शराब परोसी जाएगी। 

हाल ही में भलौना गांव के प्राचीन शिरगुल मंदिर में बिरादरी के सम्मेलन में एकत्रित लोगों ने कुल देवता के समक्ष शपथ ली। बिरादरी की महिलाओं ने भी कसम खाई कि अब वे अपने परिवारों में न शराब का सेवन होने देंगी और न ही परिवार के पुरुष सदस्यों एवं युवाओं को जुआ खेलने देंगी। कनियाल बिरादरी का एक महासम्मेलन 30 सितम्बर को उप तहसील हरिपुर हार के भलौना गांव में सम्पन्न हुआ। कांडो बड़ौल निवासी सेवानिवृत्त प्रिंसीपल बहादुर सिंह शर्मा ने सम्मेलन में यह प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। 

प्रस्ताव में कहा गया कि गिरीपार क्षेत्र की 10 पंचायतों के लगभग 18 गांवों में शराब बनाने और पीने पर पाबंदी लगाने से युवा पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। इससे शादी व अन्य समारोहों में फालतू का खर्च कम होने के साथ-साथ पारिवारिक झगड़ों एवं अन्य आपराधिक घटनाओं पर भी रोक लगेगी तथा लगभग 10,000 की आबादी को लाभ पहुंचेगा। उल्लेखनीय है कि सिरमौर जिले के गिरीपार क्षेत्र में विवाह, शादी एवं अन्य समारोहों में शराब परोसने की पुरानी परम्परा है। इसके अलावा इन समारोहों में बकरे भी काटे जाते हैं। गिरीपार के शिलाई क्षेत्र में कुछ वर्ष पूर्व शादी-विवाह में ‘बकरों की धाम’ (दावत) पर रोक लगाई गई थी। 

गिरीपार क्षेत्र में ऐसे कई गांव और पंचायतें हैं जहां शराब बनाने और पीने पर पाबंदी है परंतु एक ही बिरादरी के 18 गांवों में शराब पर पाबंदी लगाने का गिरीपार क्षेत्र में यह पहला उदाहरण है। मूल गांव कुणा होने के कारण इस बिरादरी के लोगों को कनियाल कहते हैं। कनियाल बिरादरी के लोग रवाणा, बढ़ोल, कांडो, कुणा, नाय, बनवाणी, कफनू, तांदियों, कुकड़ेच, शिलाण, माइला, कालरियां, छछोती, गोंठ, बरवाड़ी, नांजी, भलौना व डोलना आदि के निवासी हैं। 

पूर्व प्रधानाचार्य बहादुर सिंह शर्मा के अनुसार लोगों को नशाखोरी व जुए के विरुद्ध प्रेरित करने में क्षेत्र की बहू-बेटियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे नि:संदेह आने वाले समय में बिरादरी के परिवारों को नशे व जुए की लत से छुटकारा मिलेगा और समाज में खुशहाली आएगी। इस अभियान को आगे भी जारी रखने का संकल्प व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नशे व जुए की लत के कारण विवाह-शादी एवं अन्य समारोहों में मारपीट व हंगामे हो रहे हैं। अत: जब ये दोनों चीजें बंद हो जाएंगी तो ये बुराइयां भी बंद हो जाएंगी और लोगों के घरों में खुशहाली आएगी। 

इससे स्वस्थ समाज का निर्माण करने में भी सहायता मिलेगी क्योंकि शराब व जुए का सर्वाधिक हानिकारक प्रभाव परिवार की महिलाओं और बच्चों पर ही पड़ता है। समाज में नशे और जुएबाजी से हो रहे विनाश को देखते हुए कनियाल बिरादरी द्वारा लिया गया शराब और जुआबंदी का निर्णय सराहनीय ही नहीं बल्कि अनुकरणीय भी है। अत: प्रदेश सरकार को एक बड़ा समारोह आयोजित करके और प्रदेश की अन्य पंचायतों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करके कनियाल बिरादरी के सदस्यों को सम्मानित करना चाहिए ताकि दूसरी बिरादरी और पंचायतों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहन मिले। —विजय कुमार 

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