‘अन्नाद्रमुक में घमासान’ तमिलनाडु अस्थिरता की ओर बढऩे लगा

Wednesday, Feb 08, 2017 - 10:24 PM (IST)

दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार एम.जी. रामचंद्रन की सह-अभिनेत्री रही जयललिता धीरे-धीरे उनकी प्रेमिका बन बैठीं और पार्टी के उत्तराधिकार के संघर्ष में उनकी पत्नी जानकी को हरा कर अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो बन गईं। जयललिता 23 मई 2016 को छठी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं परंतु वह 22 सितम्बर 2016 को अचानक बीमार पड़ीं और 73 दिनों तक उपचाराधीन रहने के बाद अंतत: 5 दिसम्बर को उनका देहांत हो गया।

उनकी मृत्यु की घोषणा के बाद आनन-फानन में पार्टी विधायक दल की बैठक में नेता चुने गए जयललिता के सर्वाधिक वफादार व जया की गैर-हाजिरी में उनका चित्र रख कर पार्टी और कैबिनेट की बैठकों की अïध्यक्षता करने वाले पन्नीरसेल्वम को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की शपथ दिलवाई परंतु तभी जयललिता के हर उतार-चढ़ाव में उनका साथ देने वाली उनकी खास सहेली शशिकला नटराजन के तमिलनाडु की सत्ता कब्जाने के इरादों को लेकर चर्चा शुरू हो गई।

जयललिता की मृत्यु के कुछ ही दिन बाद उनकी भतीजी दीपा ने इस बारे में आरोप भी लगा दिया और कहा कि बीमारी के दौरान शशिकला ने उन्हें अपनी बुआ (जयललिता) से मिलने नहीं दिया।शशिकला के इरादों के बारे में आशंकाएं 5 फरवरी को सच साबित होती दिखाई देने लगीं जब पार्टी विधायक दल की एक बैठक में पन्नीरसेल्वम द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देने और मुख्यमंत्री के लिए शशिकला का नाम प्रस्तावित करने के बाद शशिकला को विधायक दल की नेता चुन लिया गया।

परंतु राज्यपाल विद्यासागर राव के चेन्नई से बाहर होने और शशिकला को  शपथ दिलाने से पूर्व कानूनी राय लेने की बात कहने तथा उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका के कारण इस पर अनिश्चितता छा गई। इसमें यह कहते हुए शशिकला को मुख्यमंत्री की शपथ लेने से रोकने की मांग की गई कि उनके विरुद्ध आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में फैसला लंबित है जिसमें दोष सिद्ध होने पर यदि उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा तो कानून व्यवस्था खराब हो सकती है, लिहाजा फैसला आने तक इसे स्थगित रखा जाए।

इस बीच 7 फरवरी को तमिलनाडु के पूर्व प्रधान सभा अध्यक्ष पी.एच. पांडियन ने यह कह कर धमाका कर दिया कि ‘‘22 सितम्बर की रात को जयललिता के घर में भारी झगड़ा हुआ था जिसके दौरान किसी ने उन्हें धक्का दे दिया। इससे वह गिर कर बेहोश हो गईं और फिर कभी उठ नहीं पाईं। किसी को संदेह न हो इसलिए उन्हें अस्पताल लाया गया था।’’ 

इसी दिन जयललिता की भतीजी दीपा ने भी कहा कि ‘‘उनकी मौत प्राकृतिक नहीं थी तथा परिवार से उनकी बीमारी छिपाई गई।’’जयललिता की मौत के 65वें दिन 7 फरवरी को ही अन्नाद्रमुक की आंतरिक कलह और बढ़ गई जब प्रतिद्वंद्वी द्रमुक नेता एम.के. स्टालिन ने अन्नाद्रमुक के नाराज 40 विधायकों से संपर्क किया और इसके मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने भी अपने स्वभाव के विपरीत शशिकला के विरुद्ध खुल कर बगावत कर दी।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे शशिकला ने त्यागपत्र देने के लिए विवश किया था, फिर भी यदि मेरे समर्थक चाहें तो मैं अपना त्यागपत्र वापस भी ले सकता हूं।’’ इस पर प्रतिक्रिया स्वरूप एक ही घंटे बाद 11 बजे शशिकला ने अपने घर में  बैठक बुलाकर पन्नीरसेल्वम को पार्टी के कोषाध्यक्ष पद से भी बर्खास्त कर दिया।

8 फरवरी को पन्नीरसेल्वम ने 50 विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए स्वयं भी जयललिता की मौत पर सवाल उठा दिया और इसकी जांच के लिए आयोग बिठाने की सिफारिश करने के अलावा विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने की बात कह कर एक और धमाका कर दिया।जवाब में शशिकला ने भी पार्टी विधायकों की बैठक बुला ली तथा इसे द्रमुक की साजिश बताने के अलावा उन पर किसी ‘और’ के इशारों पर काम करने का आरोप लगा दिया। 
कुल मिलाकर अब तमिलनाडु की राजनीति में वह सब कुछ घटित हो रहा है जिस बारे में आशंका तभी से व्यक्त की जाने लगी थी जब बीमारी के बाद जयललिता को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

भविष्य में अन्नाद्रमुक की यह आंतरिक कलह कहां जाकर थमेगी, इस बारे में कुछ भी कहना समय से पहले की बात होगी परंतु जिस तरह जयललिता के जाने के बाद उनकी मृत्यु के सम्बन्ध में आरोप-प्रत्यारोप और उनके उत्तराधिकारी के सम्बन्ध में विवाद शुरू हो गया है, उससे तो यही लगता है कि तमिलनाडु अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है।                                —विजय कुमार  

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