जोशीमठ (उत्तराखंड) के बाद अब डोडा और रामबन (जम्मू) के मकानों में दरारें

punjabkesari.in Tuesday, Feb 07, 2023 - 03:44 AM (IST)

कुछ समय से भारत सहित विश्व के ओर-छोर में भूकम्पोंं का प्रकोप लगातार जारी है जो चेतावनी दे रहा है कि पर्यावरण से छेड़छाड़ कभी भी बड़ी तबाही ला सकती है। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब कहीं न कहीं भूकम्प न आ रहा हो और सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से अधिकांश भूकम्प भारत के ही विभिन्न हिस्सों में आ रहे हैं। 

इन दिनों उत्तराखंड का जोशीमठ व राज्य के अन्य हिस्से जमीन धंसने और मकानों में आ रही दरारों को लेकर चर्चा में हैं। इसके लिए इस क्षेत्र में भूकम्प, ढलान वाले स्थानों पर अनियंत्रित भवन निर्माण, ड्रेनेज व सीवरेज व्यवस्था, विभिन्न परियोजनाओं के लिए निर्माण तथा ब्लास्टिंग जिम्मेदार माने जा रहे हैं। इस बीच देश के अनेक भागों में जोशीमठ जैसी स्थिति पैदा होने के संकेत मिल रहे हैं। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शांता कुमार के अनुसार मैक्लोडगंज भी जोशीमठ के रास्ते पर ही जाने की तैयारी कर रहा है। 

दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) व पड़ोसी सिक्किम पर भी जोशीमठ जैसे हादसे का खतरा मंडरा रहा है। दार्जिलिंग के ‘तिनधारिया’ शहर के मकानों में दरारें आने का सिलसिला कुछ वर्ष पहले ही शुरू हो गया था और इस इलाके को भी ‘सिंकिंग जोन’ में शामिल किया गया है। अब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के ठाठरी गांव में भी जमीन धंसने के कारण दर्जनों मकानों में दरारें आ जाने से पूरी बस्ती में भय व्याप्त है। कुछ मकान गिर भी गए हैं। इस बीच प्रशासन ने सभी प्रभावित मकान खाली करवा लिए हैं और प्रभावित परिवारों के कम से कम 300 सदस्यों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। 

जानकारी के अनुसार एक माह पहले ठाठरी की नई बस्ती क्षेत्र में एक रिहायशी मकान में दरार आने की शिकायत प्रशासन के पास आई थी। धीरे-धीरे दूसरे घरों में भी दरारें आनी शुरू हो गईं, जबकि गत दो-तीन दिनों में दरारें तेजी से बढऩी शुरू हो गईं। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह जोशीमठ में पैदा हुई स्थिति से मिलती-जुलती है। डोडा क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र-4 (seismic zone-4) में आता है जिसके अनुसार यह भूकम्पों से भारी विनाश के जोखिम पर है। पिछले कुछ दशकों के दौरान जोशीमठ की भांति ही यहां भी बड़े पैमाने पर इमारतों का निर्माण हुआ है। इस क्षेत्र में एक सड़क के निर्माण को भी जमीन धंसने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। 

भू वैज्ञानिकों की एक टीम का कहना है कि यह समूचा इलाका कई कारणों से धंस रहा है जिसमें वर्षा के पानी के संतोषजनक ड्रेनेज सिस्टम के बगैर ढलानों पर नए मकानों और इमारतों पर आधारित बस्तियों का निर्माण और जमीन से पानी का रिसाव भी शामिल हो सकता है। इस बीच जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के बस्ती इलाके में राजमार्ग विस्तार कार्य के दौरान 5 परिवारों के मकानों में दरारें आ गई हैं। ये तब नजर आईं जब राजमार्ग पर एक सड़क निर्माण कम्पनी द्वारा बस्ती इलाके में पहाड़ की कटाई व वर्षा से पहाड़ खिसकने लगा तथा स्थिति बिगड़ी। 

‘नेचर जियो साइंस’ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 1995 से 2021 के बीच एकत्रित भूकंपों का डाटा संकेत दे रहा है कि धरती की अंदरूनी कोर ने धरती की अपनी गति से तेज घूमना बंद कर दिया है जबकि कुछ दशक पहले तक धरती की अंदरुनी कोर शेष ग्रह की तुलना में अधिक तेजी से घूम रही थी। हालांकि सभी भू वैज्ञानिक अभी इस निष्कर्ष पर एकमत नहीं हैं।बहरहाल अब जबकि देश के अनेक हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं के संकेत मिलने लगे हैं, इससे पहले कि देश को और तबाही झेलनी पड़े, मिल रही चेतावनियों को गंभीरतापूर्वक लेते हुए इनके निवारण के लिए केंद्र व राज्य सरकारें जितनी तेजी से कदम उठाएंगी उतना ही अच्छा होगा।—विजय कुमार


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