आखिर ऐसी बयानबाजी से क्या सिद्ध करना चाहते हैं हमारे माननीय

Tuesday, Jul 18, 2023 - 04:50 AM (IST)

हम लिखते रहते हैं कि हमारे माननीयों को हर बयान सोच-समझ कर ही देना चाहिए ताकि अनावश्यक विवाद पैदा न हों परंतु उन पर इसका कोई असर नहीं हो रहा। गत 11 जुलाई को राजस्थान सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा (कांग्रेस) ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि ‘‘सीता माता बहुत सुंदर थीं। इसी सुंदरता के कारण भगवान राम और रावण जैसे इंसान भी उनके पीछे पागल थे।’’ अपनी तुलना सीता माता से करते हुए उन्होंने कहा ‘‘मेरे गुणों के कारण ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जैसे नेता मेरे पीछे-पीछे भाग रहे हैं।’’ 

इन दिनों जबकि देश के अधिकांश राज्यों में भारी वर्षा और बाढ़ के कारण  सब्जियों के दामों में उछाल आया हुआ है, 16 जुलाई को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (भाजपा) ने सब्जियों की महंगाई के लिए मुसलमानों को जिम्मेदार बताकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा : ‘‘गांवों में सब्जियों की कीमत इतनी अधिक नहीं होती। यहां ‘मियां’ विक्रेता हमसे अधिक दाम लेते हैं। अगर सब्जी बेचने वाले असमिया होते, तो वे अपने ही लोगों को नहीं लूटते।’’

राजेंद्र गुढ़ा तथा हिमंत बिस्वा सरमा दोनों के बयानों की विरोधी दलों द्वारा कड़ी आलोचना की जा रही है। हिमंता बिस्वा सरमा की आलोचना करते हुए ऑल इंडिया यूनाइटेड डैमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा, ‘‘ऐसे शब्द एक मुख्यमंत्री के मुख से शोभा नहीं देते और इससे राज्य का एक विशेष समुदाय ‘आहत एवं आक्रोशित महसूस कर रहा है।’’ 

वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भाजपा पर अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मिलीभगत करके ‘सांप्रदायिक राजनीति’ करने का आरोप लगाया है। ताजा बेतुके बयानों के ये तो 2 उदाहरण मात्र हैं, परंतु न जाने कितने नेता ऐसे बयान देकर वातावरण में कटुता पैदा कर रहे होंगे। अत: सभी दलों के नेताओं को ऐसी बयानबाजी करने से संकोच करना चाहिए ताकि समाज का सौहार्द न बिगड़े।—विजय कुमार 

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