378 दिन बाद ‘किसान आंदोलन समाप्त’ ‘देर आयद दुरुस्त आयद’

punjabkesari.in Friday, Dec 10, 2021 - 03:24 AM (IST)

केंद्र सरकार द्वारा सितम्बर, 2020 में पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लागू करने से पहले ही किसान संगठन इन्हें किसान विरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग को लेकर 26 नवम्बर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन करते आ रहे थे। 19 नवम्बर, 2021 को सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने तथा उसके बाद किसानों से आगे की वार्ता के लिए समिति गठित करने की कवायद शुरू करने के बावजूद यह विवाद सुलझ नहीं रहा था। 

7 दिसम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को गृह मंत्रालय ने विभिन्न मुद्दों पर सकारात्मक सहमति का संकेत दिया, जिस पर विचार करने के बाद किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के प्रस्तावों के 3 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा। इसके जवाब में 8 दिसम्बर को सुबह ही सरकार ने संशोधित प्रस्ताव भेजा, जिसके सभी ङ्क्षबदुओं पर किसान नेताओं में सहमति बन गई और सरकार की ओर से अधिकृत चिट्ठी मिलते ही 9 दिसम्बर को दोपहर 12 बजे आंदोलन समाप्त करने की घोषणा करने का फैसला किया गया। 

इसी के अनुरूप सरकार की ओर से किसान नेताओं को उनकी मांगों की स्वीकृति और आंदोलन समाप्त करने का औपचारिक अनुरोध पत्र मिलने के बाद किसान नेताओं ने इसे स्वीकार करने की घोषणा कर दी। अंतत: 378 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद किसानों ने घर वापसी की तैयारी शुरू कर दी है और दिल्ली बार्डर से टैंट उखडऩे लगे हैं। हालांकि किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि ‘‘यह मोर्चे का अंत नहीं है, हमने इसे स्थगित किया है।’’ 

इसके साथ ही किसान नेताओं ने आगे की रणनीति भी बना ली है। इसके अनुसार  संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि 11 दिसम्बर को सभी मोर्चे हटा लिए जाएंगे और किसान जश्न मनाते हुए जुलूस के रूप में वापसी करेंगे। इसके साथ ही सभी टोल प्लाजा भी मुक्त किए जाएंगे। हैलीकाप्टर हादसे में शहीद हुए सी.डी.एस. जनरल बिपिन रावत की शुक्रवार को अंत्येष्टि होने के कारण किसानों ने इस दिन जश्न नहीं मनाने का निर्णय किया है। 

13 दिसम्बर को पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं द्वारा श्री दरबार साहिब में माथा टेकने और 15 जनवरी को ‘मोर्चा’ की बैठक में आंदोलन की समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है। हरियाणा के 28 किसान संगठनों ने भी अपनी रणनीति बना ली है। 

सरकार ने सकारात्मक रवैया दिखाया तो किसानों के तेवर भी नर्म पड़ गए। जहां 8 दिसम्बर का दिन भारत के लिए अत्यंत दुखद रहा, जब हमने अपने 12 शीर्ष सेना अधिकारियों को हैलीकाप्टर दुर्घटना में खो दिया, वहीं 9 दिसम्बर का दिन किसान आंदोलन की समाप्ति के रूप में किसानों व अन्यों के लिए राहत लेकर आया है। 

आशा है कि आने वाले दिनों में लोगों को किसानों के धरनों-प्रदर्शनों और रेल तथा बस यातायात रोकने जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी और आंदोलन के कारण धरना स्थलों के आसपास लोगों के बंद हुए काम-धंधे गति पकड़ सकेंगे, किसान घरों को जाकर अपने खेत-खलिहान सम्भाल सकेंगे और देश की प्रगति में योगदान डाल सकेंगे।—विजय कुमार


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