‘श्री राम मंदिर’ को लेकर  उमड़ीं अडवानी जी के ‘मन की भावनाएं’

punjabkesari.in Sunday, Jan 14, 2024 - 04:16 AM (IST)

हिंदुओं की मान्यता है कि अयोध्या में भगवान श्री राम के जन्म स्थान पर एक भव्य मंदिर विराजमान था, जिसे 1528 में मुगल आक्रमणकारी बाबर के सेनापति मीर बाकी ने तुड़वा कर वहां ‘बाबरी मस्जिद’ बनवा दी जिसके विरुद्ध 1885 से कानूनी लड़ाई जारी थी। वरिष्ठ भाजपा नेता श्री लाल कृष्ण अडवानी ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान 25 सितम्बर, 1990 को ‘राम रथ यात्रा’ सोमनाथ से शुरू की थी और इसका समापन 30 अक्तूबर को अयोध्या में होना था, परंतु उन्हें बिहार के समस्तीपुर में 23 अक्तूबर की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया।

‘राम रथ यात्रा’ के कुछ ही समय बाद 6 दिसम्बर, 1992 को हजारों कारसेवकों ने अयोध्या पहुंच कर बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया, जिसके बाद वहां एक अस्थायी राम मंदिर बना दिया गया। अंंतत: 9 नवम्बर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से ‘राम लला विराजमान’ के पक्ष में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि  विवादित भूमि पर ही मंदिर बनेगा। इसके बाद 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में मंदिर के निर्माण का पहला चरण शुरू हुआ और अब 22 जनवरी को अभी निर्माणाधीन भव्य मंदिर का प्राण प्रतिष्ठïा समारोह होने जा रहा है।

इस आंदोलन में सबसे आगे रहने वाले श्री लाल कृष्ण अडवानी तथा श्री मुरली मनोहर जोशी को 19 दिसम्बर, 2023 को एक संवाददाता सम्मेलन में राम जन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उनकी बड़ी आयु के कारण समारोह में न आने का अनुरोध किया था पर इस बारे चर्चा के कारण 11 जनवरी, 2024 को श्री अडवानी तथा श्री मुरली मनोहर को समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दे दिया गया जिस पर श्री अडवानी ने सहमति व्यक्त भी कर दी है। इस बीच 1998 से 2004 तक भारत के गृह मंत्री रहे श्री लाल कृष्ण अडवानी ने देशवासियों को बधाई देते हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि :

‘‘25 सितम्बर, 1990 की सुबह रथ यात्रा आरंभ करते समय हमें यह पता नहीं था कि प्रभु राम की जिस आस्था से प्रेरित होकर यह यात्रा आरंभ की जा रही है, वह देश में एक आंदोलन का रूप ले लेगी।’’ 

‘‘मैंने देखा, मंदिर के लिए जन समर्थन बढ़ता जा रहा था। ‘जय श्री राम’ और ‘सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा चारों ओर गूंज रहा था। रथ देख कर सुदूर गांवों में ग्रामीण मेरे पास आते। वे भावुक हो जाते। मुझे बधाई देते, भगवान राम के नारे लगाते और चले जाते।’’

‘‘रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्या में श्री राम का मंदिर अवश्य बनेगा और नियति ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को चुना। रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था।’’

रथ यात्रा में श्री नरेंद्र मोदी की भूमिका के विषय में श्री अडवानी ने कहा कि नरेंद्र मोदी उस समय अधिक चॢचत नहीं थे। वह लोगों के सामने नहीं आए थे तथा यात्रा के समय उनके साथ थे। उन्होंने कहा,‘‘जब नरेंद्र मोदी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे उस समय वह भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व कर रहे होंगे।’’ श्री लाल कृष्ण अडवानी के अनुसार वह इस बात के प्रति आश्वस्त हो गए थे कि हजारों लोग अयोध्या में राम मंदिर का सपना देखते हैं लेकिन वे  अपनी आस्था छिपाकर जी रहे थे। अंतत: 22 जनवरी, 2024 को असंख्य लोगों के सपने सच्चाई का रूप लेंगे।

इस इंटरव्यू में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जिनकी 16 अगस्त, 2018 को मृत्यु हो गई थी तथा अपनी पत्नी स्व. श्रीमती कमला अडवानी को भी याद किया और कहा, ‘‘वाजपेयी जी मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं जिनके साथ मेरा गहरा संबंध था। अयोध्या में भव्य प्राण प्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम में उनकी कमी महसूस हो रही है।’’

इसी प्रकार अपनी धर्मपत्नी स्व. श्रीमती कमला अडवानी जिनकी 6 अप्रैल, 2016 को मृत्यु हो गई थी, के विषय में उन्होंने कहा कि ‘‘कमला मेरे लिए शक्ति का स्रोत बनी रहीं और मेरे जीवन में स्थिरता का मुख्य आधार थीं।’’ श्री अडवानी की वृद्धावस्था को देखते हुए मंदिर ट्रस्ट की ओर से उनके स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का ध्यान रखने का आश्वासन दिया गया है। आशा है कि 22 जनवरी के दिन समारोह में श्री अडवानी की उपस्थिति इस आयोजन को सार्थक करेगी। -विजय कुमार 


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