अबु बकर मुस्लियार का नारी जाति बारे विवादास्पद बयान

Tuesday, Dec 01, 2015 - 12:47 AM (IST)

आल इंडिया सुन्नी जमीयत-उल-उलेमा के प्रमुख ए.पी. अबु बकर मुस्लियार ने 28 नवम्बर को कोझिकोड में मुस्लिम छात्र संघ के शिविर को संबोधित करते हुए लैंगिक समानता की परिकल्पना को गैर इस्लामी बताया। 

महिलाओं के संबंध में विवादास्पद बयान देते हुए मुस्लियार ने कहा, ‘‘इस्लाम में महिलाओं की भूमिका तय है कि वे सिर्फ बच्चे पैदा करके उनका लालन-पालन करें और अपने पति के खाने-पीने का प्रबंध करें। महिलाओं में न ही मानसिक मजबूती होती है और न ही दुनिया को नियंत्रित करने की शक्ति जो पुरुषों के हाथ में है। लैंगिक समानता एक ऐसी चीज है जो कभी भी वास्तविकता में नहीं बदल सकती।’’

‘‘यह इस्लाम और मानवता के विरुद्ध तथा बुद्धिमता के लिहाज से गलत है। महिलाएं कभी भी पुरुषों के बराबर नहीं हो सकतीं। वे संकट की स्थितियों का सामना नहीं कर सकतीं। क्या हजारों ‘हार्ट सर्जनों’ में एक भी महिला है? समूचे ब्रह्मड पर नियंत्रण पाने का काम पुरुषों के ही हाथों में है।’’

 
अतीत में भी ऐसे अनेक बयान दे चुके अबु बकर के इस बयान की स्वयं मुस्लिम समुदाय द्वारा ङ्क्षनदा की जा रही है। लखनऊ ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा है कि ‘‘इस्लाम सही अर्थों में लैंगिक समानता का पक्षधर है। यदि आप इस्लाम का इतिहास देखें तो आपको पता चलेगा कि इसने पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही  सम्पत्तिï, विवाह, विरासत आदि में समान अधिकार और समान उत्तरदायित्व सौंपे हैं।’’  
 
उन्होंने आगे कहा कि ‘‘यह निववाद तथ्य है और यदि कोई इसके विरुद्ध बोलता है तो वह गलत है। इस्लाम में महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही दर्जा दिया गया है।’’  
 
अन्य मुसलमान विद्वानों ने भी अबु बकर के बयान की आलोचना की है। आज 21वीं शताब्दी में मुस्लिम महिलाएं भी अन्य महिलाओं की भांति ही निववाद रूप से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों को चुनौती देती हुई आगे बढ़ रही हैं और उनके कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।  
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