नागरिकता कानून बारे : ये क्या कर रहे हो ये क्या हो रहा है!

punjabkesari.in Friday, Dec 20, 2019 - 12:35 AM (IST)

इन दिनों जहां देश में अपराधों की बाढ़ आई हुई है वहीं नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सी.ए.ए.) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एन.आर.सी.) को लेकर देश के अनेक राज्यों में बवाल मचा हुआ है। नागरिकता संशोधन विधेयक 10 दिसम्बर को लोकसभा ने पारित किया जो राज्यसभा में 11 दिसम्बर को पारित हुआ और 12 दिसम्बर को राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद कानून बन गया। इसके कानून बनने से पहले से ही लगातार इसका विरोध हो रहा है जो पूर्वोत्तर के राज्यों से शुरू होकर उत्तर प्रदेश, बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय आदि को अपनी लपेट में ले चुका है। 

इस कानून के अनुसार अब पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों जैसे हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई आदि के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करना आसान होगा। हालांकि उत्तर पूर्व के राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और असम के कुछ इलाकों में यह लागू नहीं होगा परंतु देश के अनेक राज्यों बंगाल, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, महाराष्ट्र आदि ने इसे लागू करने से इंकार कर दिया है। इसके विरुद्ध जारी प्रदर्शनों, तोड़-फोड़, वाहनों की आगजनी और हिंसा के चलते अब तक कम से कम 6 लोगों की मृत्यु और वरिष्ठ नेताओं, छात्रों और कार्यकत्र्ताओं सहित सैंकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 

हालांकि केंद्र सरकार के अनुसार राज्य इस कानून को लागू करने से इंकार नहीं कर सकते वहीं विपक्षी दलों ने इसके विरोध में सुप्रीमकोर्ट में 59 याचिकाएं दायर करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार नया नागरिकता कानून लाकर देश को बांटने का प्रयास कर रही है। सुप्रीमकोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने से इंकार करते हुए इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को तय की है। इस बीच संशोधित नागरिकता कानून (सी.ए.ए.) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एन.आर.सी.) के विरुद्ध 19 दिसम्बर को माकपा और भाकपा सहित सभी वामदलों और मुस्लिम संगठनों की ओर से विरोधी दलों कांग्रेस, सपा, राजद आदि के समर्थन के साथ देश में प्रदर्शन जारी हैं। अनेक स्थानों पर रेल यातायात बाधित किया गया तथा पुलिस से झड़पों के बाद अनेक स्थानों पर कफ्र्यू लगा दिया गया। 

इसी सिलसिले में राजधानी दिल्ली में लाल किला, मंडी हाऊस और जंतर-मंतर पर राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों ने निषेध आज्ञा के बावजूद भारी प्रदर्शन किया जहां कानून व्यवस्था बनाए रखने और लोगों को आने से रोकने के लिए अलग-अलग इलाकों में 18 मैट्रो स्टेशनों को बंद करना पड़ा। गुरुग्राम में राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की जांच के कारण भारी जाम में चालक दल के सदस्यों के फंस जाने के कारण विमानन कम्पनी इंडिगो की 19 उड़ानें रद्द कर दी गईं। महाराष्ट्र में मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान के अलावा राज्य के विभिन्न हिस्सों ठाणे, पालघर, पुणे, नासिक, अहमदनगर, औरंगाबाद, बीड, लातूर, गुजरात के अहमदाबाद आदि में भी प्रदर्शन किए गए। 

मध्य प्रदेश में भोपाल, छत्तीसगढ़ में रायपुर और रायगढ़, कर्नाटक में बेंगलूर, हुबली, कलबुर्गी, हासन, मैसूरू, तमिलनाडू में चेन्नई, उत्तर प्रदेश में लखनऊ, संभल आदि में भारी प्रदर्शन किए गए। लखनऊ और संभल में अनेक बसों और एक टी.वी. चैनल के वाहन को आग लगा दी गई। कुछ स्थानों पर फायरिंग भी की गई!इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में हैदराबाद, बिहार में पटना, चंडीगढ़, मणिपुर के इम्फाल, बंगाल के कोलकाता आदि में लोगों ने भारी प्रदर्शन, आगजनी और तोड़-फोड़ की। अनेक स्थानों पर इंटरनैट सेवाएं भी बंद की गईं। उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान 19 दिसम्बर को सरकारी सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने की संभवत: पहली बड़ी घटना हुई। अनेक स्थानों पर उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग और लाठीचार्ज भी करना पड़ा। 

हालांकि उक्त कानूनों को लेकर व्यापक जन आक्रोष को देखते हुए पहले गृह मंत्री अमित शाह ने इस बारे क्रिसमस के बाद पुनॢवचार करने का संकेत दिया था परंतु बाद में कहा कि नागरिकता कानून तो लागू होकर ही रहेगा। हम समझते हैं कि सरकार को नागरिकता कानून (सी.ए.ए.) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एन.आर.सी.) जैसे संवेदनशील विषय पर प्रदर्शनकारियों और सरकार को शांत होकर आपस में बात करके परस्पर सहमति से यह मामला सुलझा कर देश में सामान्य स्थिति बहाल करनी चाहिए ताकि सभी कामकाज सुचारू रूप से चल सकें और प्रदर्शनों आदि के चलते देश की मूल्यवान सम्पत्ति और लोगों के प्राणों की रक्षा हो सके।—विजय कुमार 


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