एक ही वर्षा ने खोल दी हमारी निर्माण गुणवत्ता की पोल

punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2024 - 05:20 AM (IST)

दक्षिण-पश्चिम मानसून लगभग समूचे देश में पहुंच गया है। इस दौरान मानसून से पहले की 27-28 जून की दरम्यानी रात को दिल्ली-एन.सी.आर. के अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत भारी वर्षा रिकार्ड की गई। इस पहली ही वर्षा ने विश्व स्तरीय राजधानी दिल्ली तथा देश के अन्य भागों में वर्षा से बचाव तैयारी संबंधी प्रबंधों तथा महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों की घटिया निर्माण गुणवत्ता की पोल भी खोल कर रख दी है। जहां अनेक स्थानों पर बिजली सप्लाई बाधित हो गई वहीं पानी में करंट आ जाने से कुछ लोगों की जान चली गई वहीं कुछ लोग पानी में डूबने से जान गंवा बैठे। यहां तक कि पानी के प्रकोप से राजधानी का लुटियन्स जोन भी अछूता न रह सका तथा कई पॉश इलाकों में पानी भर गया। 

जल भराव के कारण सांसदों ने कई तरीके अपनाए जिनमें पतलून समेटना, जूते हाथ में लेकर चलना और अपने सहायकों द्वारा उठाकर कार तक ले जाना शामिल है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह बिना नाव के संसद नहीं पहुंच पाएंगे। 27 जून रात को हुई तेज वर्षा के परिणामस्वरूप नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के घरेलू टर्मिनल-1 पर डिपार्चर एरिया के बाहर गेट नं. 1 और 2 के बाहर बनी विशाल कैनोपी (एक तरह की कृत्रिम छत) ढह जाने से गिरे छज्जे को थामने वाली क्विंटलों वजनी पाइप और शैड की चपेट में आकर जहां 4 कारें क्षतिग्रस्त हो गईं वहीं उनमें बैठे लगभग 8 लोग घायल हो गए जिनमें से एक कैब चालक की मृत्यु हो गई। 

इसी तरह मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित ‘डुमना एयरपोर्ट’ पर भी तेज वर्षा के कारण कैनोपी फट गई तथा उसमें एकत्रित पानी अचानक तेज गति से नीचे खड़ी कार पर गिरने से कार क्षतिग्रस्त हो गई जबकि कार के अंदर बैठा चालक बाल-बाल बच गया। ‘डुमना एयरपोर्ट’ प्रबंधन ने कार मालिक को नुकसान की भरपाई का भरोसा दिया है। यही नहीं, गुजरात में राजकोट से लगभग 25 किलोमीटर दूर हीरासर गांव में बने अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की कैनोपी का भी एक बड़ा हिस्सा 29 जून को वर्षा में गिर जाने का मामला सामने आया है। हालांकि इस मामले में गनीमत यह रही कि जिस समय यह दुर्घटना हुई उस समय वहां कोई नहीं था इसलिए जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि राजकोट के नए हवाई अड्डे का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 27 जून को किया था। 

इससे पहले इसी वर्ष हमारी विभिन्न निर्माण परियोजनाएं इस तरह के हादसों की शिकार हो चुकी हैं। बिहार में मात्र 7 दिनों में 5 पुल गिर चुके हैं। यही नहीं, गत सप्ताह अयोध्या में राम मंदिर की छत से पानी टपकने और राम पथ पर पानी के जमाव का मामला सामने आया जबकि कुछ समय पूर्व अटल सेतु में दरारोंं तथा उत्तराखंड में निर्माणाधीन सुरंग के ढहने से हड़कंप मच चुका है। हालांकि सभी चाहते हैं कि देश प्रगति करे परंतु महत्वपूर्ण बात यह है कि देश की विभिन्न परियोजनाओं को बनाने के लिए कोई गुणवत्ता मापदंड निर्धारित है भी या नहीं? 

किसी भी जगह पर चाहे वह सड़क हो या पुल, या हवाई अड्डा ऐसी कोई एजैंसी होनी चाहिए जो इन स्थानों पर गुणवत्ता की निगरानी करे। बारिश के पानी के जगह-जगह रुके रहने की समस्या केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका एक कारण देश की जल निकासी प्रणाली का दोषपूर्ण होना भी है। देश में अधिकांश स्थानों पर बिछाई हुई सीवरेज की लाइनें काफी पुरानी पड़ चुकी हैं जो 50 वर्ष से भी अधिक पुरानी हैं जिसकी न गाद आदि की सफाई की जा रही है और न ही पुरानी और नाकारा हो चुकी सीवरेज लाइनों को सुधारा ही जा रहा है। इसके विपरीत यदि पैरिस की नालियों की बात की जाए तो वह सैंकड़ों वर्ष पुरानी हैं लेकिन वहां पर इनकी साफ-सफाई का उचित ध्यान दिया जाता है। 

मौसम की पहली ही वर्षा से जलनिकासी की पाइपों को इस कदर क्षति पहुंची है कि स्वच्छ पानी भी निकल कर नहीं आ पा रहा और सीवरेज का गंदा पानी स्वच्छ पानी के पाइपों में जा रहा है, जिससे खतरा पैदा हो गया है कि कहीं दिल्ली के अनेक इलाके पीने के पानी से वंचित न हो जाएं। सीवरेज डिपार्टमैंट को चाहिए कि इस तरह की स्थिति कहीं भी पैदा न हो। दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में जी.एम.आर. ग्रुप (50.1 प्रतिशत), फ्रापोर्ट ए.जी. (10 प्रतिशत), मलेशिया एयरपोर्टस (10 प्रतिशत), इंडिया डिवैल्पमैंट फंड (3.9 प्रतिशत) और भारतीय विमानन प्राधिकरण के पास 26 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसलिए एयरपोर्ट पर होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी इन सबकी बनती है। जहां-जहां एयरपोर्ट अथारिटी है उन्हें भी सतर्कता से काम लेना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं न हों और इन सबसे ऊपर भारत सरकार  के नागरिक उड्डयन मंत्रालय को किसी भी दुर्घटना का संज्ञान लेना चाहिए । 


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