राम मंदिर निर्माण के पक्ष में मुसलमानों द्वारा बदलाव का सुखद संकेत

Thursday, Nov 02, 2017 - 01:00 AM (IST)

हिंदुओं की मान्यता है कि भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्म स्थान पर एक भव्य मंदिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़ कर वहां एक मस्जिद बना दी। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में इस स्थान को मुक्त कराने तथा वहां एक नया मंदिर बनाने के लिए एक लम्बा आंदोलन चला। यह विवादित ढांचा 6 दिसम्बर,1992 को गिरा दिया गया और वहां श्री राम का एक अस्थायी मंदिर बना दिया गया। 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बहुमत से निर्णय सुनाते हुए विवादित भूमि को राम जन्म भूमि घोषित किया तथा 2 न्यायाधीशों ने यह निर्णय भी दिया कि इस भूमि के कुछ भागों पर मुसलमान प्रार्थना करते रहे हैं इसलिए विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा मुसलमान गुटों को दे दिया जाए लेकिन हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने इस निर्णय को मानने से इंकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। 

अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय 5 दिसम्बर, 2017 से इस मामले की अंतिम सुनवाई शुरू करने जा रहा है, ‘द आर्ट ऑफ लिविंग फाऊंडेशन’ के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की फाऊंडेशन ने कहा है कि वह बहुचर्चित राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की अपनी ओर से कोशिश करना चाहते हैं। फाऊंडेशन के अनुसार इस सम्बन्ध में कोई निष्कर्ष निकालना बहुत जल्दबाजी होगा तथा सरकार की ओर से ऐसी किसी चर्चा की पहल नहीं की गई है परन्तु वह निर्मोही अखाड़े के बाबा रामदास के अलावा दोनों पक्षों के इमामों और स्वामी-संतों के सम्पर्क में हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश शिया सैंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने 31 अक्तूबर को श्री श्री से भेंट करके अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया और बोर्ड का रुख स्पष्ट किया कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए। 

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मंदिर निर्माण के लिए अदालती लड़ाई लड़ रहे सभी संतों और महंतों से भेंट की है और वे सभी वार्ता द्वारा मसले का हल निकालने को तैयार हैं। शिया वक्फ बोर्ड दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौते का खाका तैयार कर रहा है तथा यह राम जन्मभूमि पर किसी भी मस्जिद का निर्माण नहीं चाहता। मस्जिद किसी मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बनाई जानी चाहिए।’’ इसी बीच अयोध्या की प्रसिद्ध देवोत्थानी पंचकोसी परिक्रमा में भी 31 अक्तूबर को सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली जब ‘मुस्लिम मित्र मंच’ के बैनर तले सैंकड़ों मुसलमानों ने पंचकोसी परिक्रमा कर राम मंदिर निर्माण की हुंकार भरी। परिक्रमा में पहली बार भगवा और तिरंगे झंडे के साथ इस्लाम के प्रतीक हरे झंडे को भी देखा गया। परिक्रमा के दौरान मुस्लिमों ने जय श्री राम के उद्घोष करते हुए कहा, ‘‘भगवान राम अयोध्या में पैदा हुए तो क्या मंदिर अयोध्या में न बन कर पाकिस्तान में बनेगा?’’ 

‘मुस्लिम मित्र मंच’ के प्रदेश अध्यक्ष बबलू खान ने कहा, ‘‘अयोध्या और फैजाबाद के मुसलमान चाहते हैं कि अब समय आ गया है कि राम मंदिर बन जाना चाहिए। राम मंदिर के मुद्दे पर सियासी दुकान अब नहीं चलने देंगे।’’ राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रहे विवाद के बीच श्री श्री रविशंकर द्वारा मध्यस्थता, शिया सैंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा राम मंदिर निर्माण के समर्थन एवं मुसलमान बंधुओं द्वारा पंचकोसी परिक्रमा कर राम मंदिर निर्माण की हुंकार भरने से स्पष्टï है कि मुस्लिम बंधु सचमुच इस समस्या के समाधान के इच्छुक हैं। देश में कुछ लोग पाकिस्तान की शह पर और कुछ गर्म विचारधारा के लोग माहौल बिगाडऩे में अपना हिस्सा डाल रहे हैं ताकि माहौल गर्माता रहे जबकि भारतवर्ष एकमात्र ऐसा देश है जहां सदियों से सब धर्मों के लोग मिलकर रहते आ रहे हैं और अंग्रेजों को भारत से निकालने में भी सभी लोगों ने मिलकर संघर्ष किया था। 

राम मंदिर के संबंध में मुस्लिम बंधुओं की सोच में आया बदलाव अच्छे रुझान का संकेत है जिससे वातावरण में व्याप्त कटुता दूर होगी और राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।—विजय कुमार

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