हिमाचल चुनावों की चंद दिलचस्पियां

Saturday, Sep 30, 2017 - 11:13 PM (IST)

मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति के अनुसार सर्दियों में ऊपरी पहाड़ी इलाकों में मौसम खराब हो जाने के कारण राजनीतिक दलों ने मध्य नवम्बर से पूर्व हिमाचल में चुनाव करवाने का सुझाव दिया है। इसलिए वहां 15 नवम्बर से पहले किसी भी समय चुनाव हो सकते हैं। यहां प्रस्तुत हैं इन चुनावों की चंद दिलचस्प बातें: 

हर बीतने वाले दिन के साथ तेज हो रहे चुनावी बुखार के बीच कांग्रेस और भाजपा का प्रतिनिधित्व करने वाली हरे और मैरून रंग की टोपियों की मांग भी बढ़ती जा रही है। इस संबंध में कुल्लू के एक टोपी विक्रेता का कहना है कि मांग में कम से कम 30 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि हो गई है। प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए 49.05 लाख मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे जिनमें 12 थर्ड जैंडर और 4 एन.आर.आई. शामिल हैं। इनमें 24.98 लाख पुरुष और 24.07 लाख महिला मतदाता हैं। 

प्रदेश में कुल 7516 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे जिनमें से 136 मतदान केंद्रों पर केवल महिला स्टाफ ही तैनात होगा। चुनावों में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए 204 उडऩदस्ते तैनात किए जाएंगे तथा लोगों को मतदान हेतु जागरूक करने के लिए 100 जागरूकता वाहन भी चलाए जाएंगे। हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं के पास सिवाय कांग्रेस या भाजपा के किसी भी अन्य पार्टी को सत्ता में लाने का विकल्प नहीं है। राज्य में कोई भी अन्य पार्टी नहीं है जो सरकार बना सके। हालांकि अतीत में कुछ पार्टियों ने सत्ता प्राप्ति की दिशा में बढऩे की कोशिश की परंतु दोनों ही बड़ी पार्टियों अर्थात कांग्रेस और भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने में वे असफल रहीं। 1967 से ही इस पर्वतीय प्रदेश में द्विदलीय प्रणाली चली आ रही है। 

2012 में यहां जिन पार्टियों ने चुनाव लड़ा था उनमें भाजपा, बसपा, भाकपा, माकपा, कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, लोजपा और सपा शामिल थीं। चंद गैर मान्यता प्राप्त दल इसके अलावा थे। चुनाव प्रचार के मामले में कांग्रेस की तुलना में भाजपा अभी बेहतर स्थिति में है। यहां तक कि प्रदेश भाजपा ने पार्टी में धड़ेबंदी पर भी कांग्रेस की तुलना में बेहतर ढंग से नियंत्रण पा लिया है जबकि कांग्रेस अभी भी संगठन और सरकार के स्तर पर मतभेदों से जूझ रही है। विधानसभा चुनाव 2017 के विभिन्न कार्यकलापों में पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कई नई एप्स तैयार की हैं। चुनाव संबंधी जानकारी देने के लिए मिस्ड काल की सुविधा भी दी जाएगी।

मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटनों का कार्यक्रम तेज कर दिया है और प्रदेश में आदर्श चुनाव संहिता घोषित होने तक यह सिलसिला जारी रहेगा। भाजपा ने 24 सितम्बर को चुनाव आयोग की एक टीम से मिल कर प्रदेश सरकार को यह सलाह देने के लिए कहा कि वह बजट न होने के कारण नई योजनाओं की घोषणा करने से संकोच करे। एक दिलचस्प बात यह भी है कि स्वयं केंद्र सरकार भी प्रदेश के लिए परियोजनाओं को स्वीकृत करने में पीछे नहीं है तथा इसने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 782.24 करोड़ रुपए मूल्य के सड़क एवं पुलों के निर्माण के 221 प्रस्तावों को स्वीकृति दी है। कोठीपुरा में एम्स के 3 अक्तूबर को शिलान्यास का निर्णय पहले ही किया जा चुका है। 

चुनाव से पहले हिमाचल मंत्रिमंडल ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय के अंतर्गत महिला कर्मचारियों का मातृत्व अवकाश 135 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया है। प्रदेश के पिछले 5 चुनावों में मतदान का प्रतिशत 70 से अधिक रहा था। इस बार देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश सरकार द्वारा लोगों की मतदान में रुचि बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप इस बार मत प्रतिशत क्या रहता है? कुल मिलाकर प्रदेश में चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और अक्तूबर के पहले पखवाड़े में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही प्रदेश में चुनाव बुखार शिखर पर पहुंच जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश की जनता बदल-बदल कर सरकारें लाने की अपनी परम्परा को इस बार भी जारी रखती है या नहीं।—विजय कुमार 

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