‘दहेज की बुराई के विरुद्ध’एक सराहनीय प्रयास

punjabkesari.in Thursday, Jul 06, 2023 - 05:12 AM (IST)

शादी-विवाहों में दहेज का लेन-देन एक ऐसी बुराई है जिससे बड़ी संख्या में परिवार कर्ज में डूब जाने के कारण तबाह हो रहे हैं। इसीलिए कन्या संतान को बोझ समझने के कारण अनेक परिवारों में उन्हें गर्भ में ही मारा जा रहा है तथा उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है। 

इसी को देखते हुए बिहार में पश्चिमी चम्पारण जिले में रहने वाले थारू कबीले के सदस्यों ने अपनी कठोर दहेज विरोधी परम्परा से एक मिसाल कायम की है।इस कबीले में विवाह को ‘भगवान का वरदान’ मान कर इस अवसर पर वर और वधू दोनों की ही पूजा की जाती है। रूढि़वादी हिन्दू परिवारों के रिवाज के विपरीत भावी थारू दूल्हों के अभिभावक वधू पक्ष के यहां विवाह संबंधी बातचीत के लिए जाते हैं और रिश्ता तय हो जाने पर शगुन के तौर पर 5 या 11 रुपए देते हैं। 

बिरादरी में दहेज की कतई अनुमति नहीं है और यदि कोई परिवार दहेज का लेन-देन करता है तो उसके लिए दोषी परिवार के सामाजिक बहिष्कार के साथ-साथ अन्य कठोर दंड निर्धारित हैं।वाल्मीकि नगर के ‘सोनगढ़वा’ गांव के निवासी तथा ‘भारतीय थारू कल्याण महासंघ’ के सचिव रविंद्र प्रसाद ने हाल ही में अपनी बेटी का विवाह इसी रीति का पालन करते हुए सम्पन्न करवाया और दहेज में वर पक्ष को कुछ भी नहीं दिया। 

उक्त जनजातीय समाज का प्रयास सराहनीय और अनुकरणीय है। आवश्यकता इस बात की है कि इस तरह के अभियान को देश भर में बढ़ावा दिया जाए। इससे न सिर्फ अनेक बेटियां दहेज की बलि चढऩे से बचेंगी बल्कि गरीब मां-बाप अनावश्यक वित्तीय बोझ तले दबने से भी बच सकेंगे।—विजय कुमार


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