90 लाख नौकरियां गईं!देश में बेरोजगारी के चिंताजनक आंकड़े

punjabkesari.in Wednesday, Nov 06, 2019 - 12:20 AM (IST)

हाल ही में ‘सैंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’(सी.एम.आई.ई.) द्वारा जारी आंकड़े देश की अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हालत तथा बढ़ती बेरोजगारी की ओर इशारा कर रहे हैं जिनके अनुसार अक्तूबर महीने में देश में बेरोजगारी 3 वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।

‘अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय’ के ‘सैंटर फॉर सस्टेनेबल एम्प्लायमैंट’ द्वारा जारी एक शोध पत्र में भी दावा किया गया है कि गत 6 वर्ष में लोगों को रोजगार मिलने की संख्या में काफी गिरावट आई है तथा 2011-12 से 2017-18 के बीच 6 वर्षों में 90 लाख लोगों की नौकरियां गई हैं।

‘जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय’ में अर्थशास्त्र के प्रोफैसर संतोष मेहरोत्रा तथा ‘सैंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब’ के ‘जजाती के. पारिदा’ द्वारा तैयार इस शोध पत्र के अनुसार देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। इन्होंने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि‘शैक्षिक योग्यता में वृद्धि के साथ-साथ शिक्षित वर्ग के लिए रोजगार के अवसरों में भी कमी होती चली गई है।’ 

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक विशेषज्ञ हिमांशु का भी दावा है कि 6 वर्षों में नौकरियां वास्तव में कम हुई हैं। उनके अनुसार 2011-12 में 47.25 करोड़ से कम होकर नौकरियां 2017-18 में 45.7 करोड़ रह गई हैं। उनके आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में 1.5 करोड़ नौकरियां कम हुई हैं।
 
एक अन्य चिंताजनक रुझान के अनुसार लोगों में ‘व्हाइट कॉलर’ नौकरियों के प्रति रुझान बढ़ा है जबकि कल-कारखानों में कारीगरों आदि के रूप में नौकरी करने में रुचि घटी है। इसी तरह एक ओर जहां ‘व्हाइट कॉलर’ नौकरी के इच्छुकों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी ओर कल-कारखानों में हाथ से काम करने वाले कारीगरों की आसामियां खाली पड़ी हैं।

अधिकतर उक्त आंकड़े देश की आर्थिक स्थिति की चिंताजनक तस्वीर ही पेश कर रहे हैं। यदि सरकार सच्चाई को स्वीकार करने से बचती रहेगी तो हो सकता है कि स्थिति और खराब हो जाए। ऐसे में देश के हित में यही होगा कि सरकार सुधार के पग उठाने में तेजी लाए।     —विजय कुमार


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