दिल्ली पुलिस द्वारा चौकसी के लिए लगाए 70 प्रतिशत कैमरे चल नहीं रहे

Tuesday, May 31, 2016 - 01:54 AM (IST)

भारत दो खतरनाक पड़ोसियों चीन तथा पाकिस्तान से घिरा है। जहां चीन व्यापारिक संबंधों की आड़ में अपना भारत विरोधी एजैंडा जारी रखे हुए है वहीं वह पाकिस्तान को भी पूरी शह दे रहा है जिसने अस्तित्व में आने के समय से ही भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा है और पाक आतंकी भारत में दर्जनों धमाके करके सैंकड़ों निर्दोषों की जान ले चुके हैं। 

 
इसी बीच जहां पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक डा. अब्दुल कादिर खान ने दावा किया है कि भारत की राजधानी नई दिल्ली को 5 मिनट में निशाना बनाने में पाकिस्तान सक्षम है, वहीं हरियाणा में 26 मई को एक रोडवेज बस में हुए विस्फोट के अलावा इसी साल पानीपत में 2 खाली रेलगाडिय़ों में हुए तीनों धमाकों को आतंकी घटना माना गया है।  
 
जांच एजैंसियों का मानना है,‘‘इन धमाकों में किसी एक ही ग्रुप या व्यक्ति का हाथ है और उसकी प्लाङ्क्षनग किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की हो सकती है और ये तीनों धमाके ‘एक ट्रायल रन’ के तौर पर किए गए हैं। ज्यादा लोगों को निशाना बनाने के लिए वह ग्रुप या व्यक्ति जल्द ही अगला विस्फोट दिल्ली में कर सकता है।’’ 
 
इन दोनों घटनाओं की पृष्ठभूमि में दिल्ली में सुरक्षा प्रबंधों सम्बन्धी किए गए बंदोबस्त संतोषजनक नहीं प्रतीत होते। हाल ही में दिल्ली के पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा द्वारा ली गई पुलिस अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक में बताया गया कि दिल्ली पुलिस द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से राजधानी में अपराधी तथा समाज विरोधी तत्वों पर नजर रखने के लिए लगाए गए 4064 सी.सी.टी.वी. कैमरों में से 70 प्रतिशत कैमरे चल ही नहीं रहे। 
 
दिल्ली पुलिस ने राजधानी के 56 बाजारों, अदालतों और निगरान चौकियों पर उक्त कैमरे लगाए हैं। इतनी बड़ी रकम खर्च करके पुलिस द्वारा लगाए गए सी.सी.टी.वी. कैमरों में से अधिकांश के बंद रहने का सीधा-सा मतलब यही है कि संबंधित विभाग अब तक इस मामले में किस कदर उदासीन हैं।
 
बंद पड़े कैमरों को तत्काल चालू करवाना सिर्फ बाहरी खतरे से सुरक्षा की दृष्टि से ही नहीं बल्कि दिल्ली में महिलाओं, बच्चों, वृद्धों पर बढ़ रहे अपराधों के अलावा लगातार हो रही हत्याओं, लूटपाट आदि की घटनाओं पर नजर रखने के लिहाज से भी अत्यंत आवश्यक है।
 
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