स्वतंत्रता के 69 वर्ष बाद भी प्रभावशाली लोग जो चाहे कर सकते हैं

Tuesday, Mar 08, 2016 - 12:07 AM (IST)

देश की स्वतंत्रता से पूर्व हम लोग अंग्रेज राजनीतिज्ञों, अफसरशाहों, उनके सगे-संबंधियों के अत्याचार और उत्पीडऩ के शिकार थे तथा स्वतंत्रता के बाद अपने ही राजनेताओं, अफसरशाहों और उनके सगे-संबंधियों के शोषण के शिकार हो रहे हैं और स्वतंत्रता के 69 वर्ष बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। यहां प्रस्तुत हैं हाल ही के ऐसे ही निम्र चंद ताजा उदाहरण :

24 जनवरी को मुम्बई से सटे वसई के एक सिनेमा घर में भाजपा का एक नेता व वसई मच्छी मार संघ का महासचिव रामदास मेहर अपने दलबल सहित फिल्म देखने गया। फिल्म समय पर शुरू न होने पर रामदास ने अपने कार्यकत्र्ताओं के साथ मैनेजर के दफ्तर में जाकर धावा बोल दिया। उन्होंने मैनेजर को घसीट कर उसके दफ्तर से बाहर निकाला, गालियां दीं, मारपीट की, उससे टिकट रिफंड के रूप में 10 गुणा रकम मांगी और धमकी दी कि ऐसा न करने पर सिनेमा में तोड़-फोड़ करवा देंगे।

01 फरवरी को तमिलनाडु में ‘सत्य मंगलम’ अदालत के सुबार्डीनेट जज डी. सेलवम ने इरोड स्थित लोअर अदालत की एक दलित कर्मचारी को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया कि उसने सब जज के घर में धोने के लिए रखे हुए अंत:वस्त्र क्यों नहीं धोए? इस पर 4 फरवरी को उक्त कर्मचारी ने न सिर्फ माफी मांगी बल्कि आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी। 
 
 05 फरवरी को यू.पी.के बाराबंकी जिले के अमलोरा गांव की महिला बी.डी.सी. सदस्य गीता देवी ने आरोप लगाया कि इलाके के जिला पंचायत सदस्य चंद्र देव सिंह और उसके साथी ने सपा के पक्ष में वोट न डालने के शक में उसकी साड़ी खींच कर बेइज्जत करने के बाद गाड़ी में डाल कर उसे अगवा करने की कोशिश की और उसके पति को डंडों से पीटा। 
 
21 फरवरी रात को ‘श्रीधाम मनीला’ मैंगलोर का प्रमुख मोहन दास ‘स्वामी जी’ जब बेंगलूर से कार द्वारा श्रीधाम लौट रहा था तो रास्ते में उसकी तेज रफ्तार कार ने एक राहगीर को कुचल दिया जिसकी वहीं मृत्यु हो गई। ‘स्वामी जी’ की कार वहां से 6 मील दूर जाकर रुकी और पुलिस या एम्बुलैंस बुलाने की बजाय एक मित्र को फोन करके उसने अपने लिए दूसरी कार मंगवाई व उसमें बैठ कर अपने मठ को चला गया। पुलिस ने क्षतिग्रस्त कार की नम्बर प्लेट से ‘स्वामी जी’ का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया। 
 
22 फरवरी को मेरठ के टी.पी. नगर क्षेत्र में सपा की ‘महिला सभा’ की जिलाध्यक्ष संगीता के बेटे नितिन व उसके साथी द्वारा गलत जगह कार खड़ी करने पर चौकी इंचार्ज सर्वेश यादव जीप में बिठा कर उन्हें थाने में ले आया तो संगीता आधा दर्जन युवकों को लेकर वहां पहुंच गई और नितिन ने अपने साथियों के साथ चौकी इंचार्ज से मारपीट की। इस मामले में  एस.एस.पी. ने उलटे घायल चौकी इंचार्ज को ही निलंबित कर दिया है। 
 
22 फरवरी को ही राजद के वरिष्ठï नेता आशुतोष सिंह को ट्रक आप्रेटरों से रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 
 
23 फरवरी को यू.पी. पुलिस लखनऊ रेंज के डी.आई.जी. डी.के. चौधरी ने सड़क किनारे दुकान लगाकर बैठे एक बुजुर्ग वैंडर को थप्पड़ मारा।
 
27 फरवरी को ठाणे में शिव सेना के एक कार्यकत्र्ता शशिकांत कालगुडे को जब एक महिला कांस्टेबल ने कार चलाते समय फोन पर बात करने से रोकने की कोशिश की तो पहले तो उसने कार लेकर भागने का प्रयास किया परंतु जब कांस्टेबल उसकी कार के आगे खड़ी हो गई तो उसने महिला कांस्टेबल को गालियां दीं और बुरी तरह पीटा। 
 
04 मार्च को आंध्र प्रदेश के मंत्री रावेला किशोर बाबू के बेटे आर. सुशील ने अपनी कार से 20 वर्षीय एक अध्यापिका का पीछा किया, उस पर अश्लील टिप्पणियां कीं और उसे कार के भीतर खींचने की कोशिश की।
 
05 मार्च को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में बलरामपुर सदर के सपा विधायक जगराम पासवान के भाइयों ने बारात से लौट रहे एक युवक को गोलियों से भून डाला क्योंकि उसने गाडिय़ों की भिड़ंत के बाद गाली-गलौच का विरोध किया था। उसकी मौके पर ही मौत हो गई।  
 
प्रभावशाली लोगों की दबंगई के ये तो चंद उदाहरण हैं। इसके अलावा भी अनेक घटनाएं हुई होंगी जो प्रकाश में नहीं आ पाईं। केवल राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि अफसरशाही से जुड़े प्रभावशाली लोग अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल और गलत काम कर रहे हैं। जब तक इस मन:स्थिति पर रोक नहीं लगाई जाएगी, आम लोग इसी तरह पीड़ित होते ही रहेंगे। 
    —विजय कुमार 
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