एड्स रोकने की दिशा में महाराष्ट्र की 5 पंचायतों का सराहनीय निर्णय

Saturday, Dec 05, 2015 - 11:45 PM (IST)

आम तौर पर जनहित के निर्णय लेने वाली सामुदायिक ‘खाप’ अथवा अन्य ग्रामीण पंचायतें कई बार कुछ ‘तालिबानी’ किस्म के आदेश सुना देती हैं जिसके लिए इनकी भारी आलोचना भी होती है पर बदलते माहौल में अब ये भी बदल रही हैं व लोगों को भी बदलने हेतु प्रेरित कर रही हैं। 

आमतौर पर विवाहों में वर-वधू की जन्मपत्री और ‘गुणों’ आदि का ही मिलान किया जाता है। यह जांच नहीं की जाती कि वर या वधू में से कोई किसी संक्रामक या अन्य गंभीर रोग का शिकार तो नहीं?
 
इसी कारण कई बार एड्स संक्रमित युवक-युवती का स्वस्थ युवक-युवती से विवाह हो जाने पर दोनों के लिए ही नहीं बल्कि उनकी भावी संतान के लिए भी इस रोग से संक्रमित होने का खतरा पैदा हो जाता है। 
 
इसी से बचाव के लिए महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले की चिखली तहसील के 5 गांवों की पंचायतों ने मिलकर एक बड़ा फैसला लिया है जिसके अनुसार उनके इलाके में उसी युवक-युवती की शादी की अनुमति दी जाएगी जो एड्स टैस्ट में रोगमुक्त सिद्ध होगा। इसके लिए शादी से पहले लड़के और लड़की दोनों को एड्स टैस्ट देना होगा और उनके पूर्णत: स्वस्थ होने का चिकित्सीय प्रमाणपत्र मिलने पर ही वे शादी कर सकेंगे।
 
महाराष्ट्र के उक्त गांवों द्वारा लिया गया यह संयुक्त निर्णय प्रशंसनीय तथा देश की भावी पीढ़ी को एड्स से मुक्त रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसा ही निर्णय देश की सभी पंचायतों को करना चाहिए ताकि इस मनहूस रोग को फैलने से रोका जा सके। यदि संभव हो तो सरकार को भी कानूनी प्रावधान द्वारा यह टैस्ट अनिवार्य कर देना चाहिए।
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