जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड में 11 दिनों में 6 बड़ी सड़क दुर्घटनाओं में 101 मौतें

Wednesday, Jul 03, 2019 - 02:14 AM (IST)

देश में मैदानी राज्यों के साथ-साथ पहाड़ी राज्यों में लगातार होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में मौतों के चलते देश में सड़क सुरक्षा की ओर ध्यान देने की जरूरत अत्यधिक बढ़ गई है। पिछले 5 महीनों में उत्तरी भारत के 3 पïर्वतीय राज्यों हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप 1170 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। अब मात्र पिछले 11 दिनों में हिमाचल, उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर में 6 बड़ी सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 101 मौतें हुईं जो निम्र में दर्ज हैं : 

20 जून को हिमाचल में कुल्लू के निकट बंजार में एक निजी बस के 500 फुट गहरी खाई में गिर जाने से 44 लोगों की मृत्यु और 35 घायल हो गए। बताया जाता है कि 42 सीटों वाली बस में 79 यात्री ठूंस-ठूंस कर भरे हुए थे। बस की हालत बहुत खस्ता थी तथा यह बार-बार खराब हो  रही थी। 27 जून को जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले में ‘पीर की गली’ के निकट एक वाहन के गहरी खाई में गिर जाने से उसमें सवार 11 छात्रों की मृत्यु हो गई। 30 जून को उत्तराखंड के चमोली जिले में एक कार 700 मीटर गहरी खाई में जा गिरी जिससे उसमें सवार 5 लोगों की मृत्यु हो गई। 

01 जुलाई को शिमला में झंझेड़ी के निकट छात्राओं को लेकर जा रही एच.आर.टी.सी. की बस सड़क से फिसल कर खाई में जा गिरने से 2 छात्राओं तथा वाहन के ड्राइवर की मृत्यु हो गई। 01 जुलाई को ही जम्मू-कश्मीर के केशवान में एक मिनी बस खाई में गिर जाने से 35 लोगों की मृत्यु तथा 17 अन्य घायल हो गए। 28 यात्रियों की क्षमता वाली मिनी बस में 52 यात्री ठूंसे हुए थे। 02 जुलाई को जम्मू-कश्मीर में हीरा नगर के घरावल क्षेत्र में एक कार के सैन्य वाहन से टकरा जाने से 3 लोगों की मृत्यु हो गई। 

विशेषज्ञों के अनुसार तीव्र गति से और शराब पीकर वाहन चलाना, सार्वजनिक वाहनों में क्षमता से अधिक यात्री बिठाना, सड़कों के किनारे चेतावनी संकेत, क्रैश बैरियर आदि का न लगा होना दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है और पर्याप्त परिवहन सुविधा उपलब्ध न होने के कारण यात्री ठसाठस भरी बसों में यात्रा करने को विवश होने के कारण मौत के मुंह में जा रहे हैं। लिहाजा इस बारे कड़ी कार्रवाई करते हुए सरकारी बसों की संख्या बढ़ाने, निजी एवं सरकारी दोनों प्रकार की बसों की लगातार जांच, बसों में क्षमता से अधिक यात्री बिठाने पर रोक लगाने और ऐसा करने वाले आप्रेटरों को भारी जुर्माने के अलावा उनके लाइसैंस रद्द करने जैसे कठोर प्रावधान जल्दी करना अति आवश्यक है।—विजय कुमार

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