रेल सुरक्षा से जुड़े 1.5 लाख पद खाली तो क्यों न होंगी दुर्घटनाएं
punjabkesari.in Sunday, Aug 11, 2024 - 04:38 AM (IST)
केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 9 अगस्त को 24,657 करोड़ रुपए की लागत वाली 8 नई रेल परियोजनाओं को मंजूरी देते हुए कहा कि इससे यात्रा आसान होगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार प्रस्तावित परियोजनाएं संपर्क से वंचित क्षेत्रों को जोड़कर लाजिस्टिक दक्षता में सुधार लाएंगी और परिवहन नैटवर्क को बेहतर बनाएंगी। हालांकि रेल मंत्रालय ने उक्त परियोजनाओं को अमली रूप देने से पहले ही कई नई तेज रफ्तार रेलगाडिय़ां चलाई हैं तथा और भी नई रेलगाडिय़ां चलाने जा रहा है, जिससे यात्रियों को काफी सुविधाएं मिलेंगी परंतु इसके साथ ही रोज-रोज हो रही रेल दुर्घटनाओं को रोकने की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, जिनके इसी महीने के उदाहरण निम्न में दर्ज हैं :
* 4 अगस्त को विशाखापत्तनम रेलवे स्टेशन पर कोरबा-विशाखापत्तनम एक्सप्रैस ट्रेन में आग लग जाने से 4 खाली डिब्बे जल गए।
* 4 अगस्त को ही सहारनपुर रेलवे स्टेशन के निकट दिल्ली-सहारनपुर एक्सप्रैस के 3 डिब्बे पटरी से उतर कर दूसरी पटरी पर चले गए।
* 5 अगस्त को राजस्थान के ब्यावर जिले में वर्षा के कारण पहाड़ी से रेल पटरी पर गिरे पत्थरों के कारण पालनपुर से अजमेर जा रही मालगाड़ी का इंजन और वैगन पटरी से उतर गए।
* 8 अगस्त को जम्मू-तवी से चल कर पुणे जाने वाली जेहलम एक्सप्रैस के इंजन के पहिए जाम हो जाने के कारण गाड़ी 2 घंटे अम्बाला छावनी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर रुकी रही। चालक ने कई बार इंजन आगे बढ़ाने की कोशिश की परंतु वह आगे नहीं बढ़ा। आखिर दूसरा इंजन लगाकर ट्रेन को आगे बढ़ाया गया।
* 9 अगस्त को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में कुमुदपुर रेलवे स्टेशन के निकट पैट्रोल के टैंकर ले जा रही मालगाड़ी के 5 डिब्बे पटरी से उतर गए।
* 9 अगस्त को ही दक्षिण गोवा के पहाड़ी क्षेत्र में ‘सोनालियम’ और ‘दूधसागर’ के बीच एक मालगाड़ी के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए।
* 9 अगस्त को ही मुरादाबाद से अनाज लेकर लखनऊ जा रही मालगाड़ी ‘रोजा’ जंक्शन के निकट पटरी से उतर गई।
* 9 अगस्त को ही अलीगढ़ के निकट मालगाड़ी के 2 डिब्बे पटरी से उतर गए।
ऊपर बताई गई रेल दुर्घटनाओं में कोई प्राण हानि नहीं हुई परंतु ये दुर्घटनाएं चेतावनी दे रही हैं कि कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि विमान यात्रा महंगी होने के कारण लोग रेलगाडिय़ों में यात्रा करते हैं, परंतु लगातार होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने की दिशा में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। इस वर्ष रेल बजट में सुरक्षा को अधिमान दिया गया है परंतु आबंटित की गई राशि पर्याप्त नहीं है। 2015 से 2022 के बीच प्रतिवर्ष औसतन 56 यात्रियों की रेल दुर्घटनाओं में मौत हुई थी परंतु 2023 में मौतों की संख्या में भारी वृद्धि हुई तथा 2 जून, 2023 को बालासोर में तीन गाडिय़ों की टक्कर में 293 लोगों की जान चली गई थी और 1200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। एक स्वतंत्र जांच दल ‘ओपन सोर्स इंटैलीजैंस’ द्वारा किए गए विश्लेषण में कहा गया है कि 53 प्रतिशत रेल दुर्घटनाएं कर्मचारियों की भूल के कारण तथा 4 प्रतिशत रेल दुर्घटनाएं टक्करों के कारण होती हैं। ट्रैक में खराबी और अपर्याप्त रख-रखाव भी दुर्घटनाओं के कारण बनते हैं।
इसी वर्ष के आरंभ में सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सरकार ने बताया था कि रेलवे में सुरक्षा श्रेणी के अंतर्गत 10 लाख स्वीकृत पदों में से लगभग 1.5 लाख पद खाली पड़े हैं। इनमें इंस्पैक्टर, क्रू कंट्रोलर, लोको के इंस्ट्रक्टर, ट्रेन कंट्रोलर, ट्रैक मेंटेनर, स्टेशन मास्टर, प्वाइंट्समैन, इलैक्ट्रिक सिग्नल मेंटेनर और सिग्नलिंग सुपरवाइजर आदि शामिल हैं। यही नहीं, लोको पायलटों के 14000 से अधिक पद खाली हैं। ऐसे में दूसरे लोको पायलटों पर बोझ पडऩे से स्ट्रैस बढ़ता है तथा दुर्घटनाओं का एक कारण स्ट्रैस भी हो सकता है। हालांकि भारत में रेल दुर्घटनाएं रोकने के लिए टक्कर रोधी ‘कवच प्रणाली’ लागू करने की घोषणा काफी समय से की जा रही है परंतु अभी भी भारतीय रेलवे नैटवर्क के 97 प्रतिशत के अधिक हिस्से में इसका अभाव है। इस तरह के हालात में रेलवे में उक्त त्रुटियों को तुरंत दूर करने की आवश्यकता है ताकि रेल यात्रा सुरक्षित हो और यात्री बिना किसी भय या खौफ के अपनी मंजिल तक पहुंच सकें।—विजय कुमार