इस वट वृक्ष में माथा टेकने नि:संतान दंपतियों को होती है औलाद

Tuesday, Oct 13, 2015 - 06:22 PM (IST)

अमृतसर: उत्तरी भारत का विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेला आज से शुरू हो गया है। दस दिन तक चलने वाला यह मेला दशहरा पर्व पर रावण दहन के पश्चात समाप्त होगा। रामायणकाल से संबंधित यह मेला नि:संतान दम्पतियों की मुराद पूरी करने वाला बताया जाता है। जिन दम्पतियों की संतानेंं नहीं होतीं, वे अमृतसर के दुर्गयाणा मंदिर में स्थित वट वृक्ष को माथा टेक कर मन्नत मांगते हैं कि औलाद होने पर वह उसे राम की वानर सेना के रूप में सजा कर माथा टेकने आएंगे। जिन लोगों को औलाद पैदा होती है, वे बच्चों को वानर सेना के रूप सजा कर मेले में माथा टेकने आते हैं।  
 
कथाओं के अनुसार रामायण युग में जब भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था तो उनके अश्व को इसी स्थान पर लव और कुश ने बंदी बना लिया था। घोर युद्ध के पश्चात भी जब राम की सेना घोड़े को छुड़ाने में नाकाम रही तो भगवान हनुमान आए लेकिन बालकों ने उन्हें एक वट वृक्ष के साथ बांध दिया। यह वृक्ष आज भी दुर्गयाणा मंदिर में रामायण युग के साक्ष्य के रूप में हराभरा खड़ा है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां स्थित हनुमान जी की मूर्ति घुटनों के बल बैठी हुई है।  मंदिर में आज से बैंडबाजों के साथ वानर सेना का आना शुरू हो गया है, जो रावण दहन तक जारी रहेगा।
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