वैज्ञानिक भी हैरान! NASA को अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे से मिली रहस्यमयी ‘भूतिया आवाज़ें’, धरती के अंदर है अनदेखी दुनिया?

punjabkesari.in Monday, Jun 16, 2025 - 12:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क: धरती रहस्यों का भंडार है। कहीं रहस्यमयी गुफाएं हैं तो कहीं हजारों साल पुराने जीवाश्म, लेकिन इस बार जो खोज हुई है वह हर वैज्ञानिक को चौंकाने वाली है। NASA को अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे से कुछ ऐसी अजीब रेडियो तरंगें मिली हैं जो न तो अंतरिक्ष से आ रही हैं और न ही किसी तकनीकी खराबी का नतीजा हैं। ये सिग्नल सीधे पृथ्वी के अंदर से निकल रहे हैं और वैज्ञानिक हैरान हैं कि आखिर इनका स्रोत क्या है। आइए, जानते हैं इन 'भूतिया सिग्नलों' का सच क्या है।

ANITA: नासा की रहस्यमयी खोज का मुख्य उपकरण

NASA के ANITA (Antarctic Impulsive Transient Antenna) प्रोजेक्ट का मकसद था अंतरिक्ष से आने वाली हाई एनर्जी कणों यानी न्यूट्रिनोज़ की पहचान करना। यह उपकरण अंटार्कटिका के ऊपर एक विशेष प्रकार के गुब्बारे के जरिए उड़ाया गया जो ऊंचाई से रेडियो वेव्स को कैप्चर करता है। लेकिन जो मिला, वह किसी को उम्मीद नहीं थी।

सिग्नल अंतरिक्ष से नहीं धरती के अंदर से आए

जब ANITA ने इन रेडियो तरंगों को रिकॉर्ड किया, तो वैज्ञानिकों ने यह मानकर चलना शुरू किया कि ये सिग्नल ब्रह्मांड से आए होंगे। लेकिन गहराई से जांच करने पर पता चला कि ये तरंगें धरती के अंदर से, यानी अंटार्कटिका की मोटी बर्फीली परतों के नीचे से आ रही हैं। ये तरंगें इतनी तेज़ थीं कि उन्होंने हजारों किलोमीटर मोटी चट्टानों को भेदकर सतह पर दस्तक दी।

न्यूट्रिनो थ्योरी भी हुई खारिज

शुरुआत में वैज्ञानिकों को लगा कि ये रेडियो तरंगें ‘न्यूट्रिनो’ नामक कणों के कारण उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें आम तौर पर "Ghost Particles" कहा जाता है। लेकिन जब इन सिग्नलों का मिलान अन्य डिटेक्टरों से किया गया, जैसे कि अंटार्कटिका में मौजूद IceCube डिटेक्टर और अर्जेंटीना का Pierre Auger वेधशाला, तब भी कोई ठोस सबूत नहीं मिला कि ये न्यूट्रिनोज़ हैं। इसने वैज्ञानिकों की उलझन और बढ़ा दी।

ये आवाजें क्यों हैं रहस्यमयी?

  • ये रेडियो तरंगें धरती के नीचे से आ रही हैं, ना कि ऊपर से

  • इनका व्यवहार पारंपरिक भौतिक नियमों के खिलाफ है

  • ये सिग्नल बार-बार आ रहे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि यह कोई एक बार की घटना नहीं

  • ये आवाजें बहुत तेज़ हैं और कई किलोमीटर बर्फ और चट्टानों से पार होकर सतह तक पहुंच रही हैं

क्या हैं संभावनाएं?

1. डार्क मैटर से संबंध?

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संकेत डार्क मैटर या डार्क एनर्जी से जुड़े हो सकते हैं, जो ब्रह्मांड का एक बड़ा हिस्सा हैं लेकिन अब तक अदृश्य रहे हैं।

2. अनजाना खगोलीय स्रोत?

संभावना है कि ये तरंगें अंतरिक्ष के किसी अज्ञात रेडियो स्रोत से टकराकर बर्फ के अंदर से परावर्तित हो रही हों।

3. धरती के अंदर कोई ऊर्जा स्रोत?

ऐसी भी थ्योरी है कि कहीं बर्फ के नीचे कोई प्राकृतिक परमाणु रिएक्टर या प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत हो सकता है जो ऐसी तरंगें उत्पन्न कर रहा हो।

क्या ये किसी सभ्यता के संकेत हैं?

कुछ थ्योरीज़ यह भी कहती हैं कि ये तरंगें किसी अज्ञात भूमिगत सभ्यता, UFO बेस, या एलियन एक्टिविटी का हिस्सा हो सकती हैं। हालांकि NASA ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है लेकिन वैज्ञानिक समुदाय के एक वर्ग में इस संभावना को लेकर चर्चा तेज़ हो गई है।

अभी तक क्या निष्कर्ष निकले हैं?

NASA की रिसर्च टीम ANITA के डेटा की गहन जांच कर रही है। इसकी तुलना IceCube और Pierre Auger वेधशाला से की जा रही है लेकिन अभी तक कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं निकला है। फिलहाल वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि:

  • ये तरंगें सामान्य प्रकृति की नहीं हैं।

  • धरती के भीतर कुछ ऐसा हो रहा है जिसे आज तक कोई नहीं समझ पाया।

  • यह भविष्य में वैज्ञानिक दुनिया की बड़ी खोज बन सकती है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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