भारत-अमरीका व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाना कोई दिवास्वप्न नहीं: जेतली

punjabkesari.in Saturday, Oct 14, 2017 - 09:06 AM (IST)

वाशिंगटन: भारत के वित्त मंत्री अरुण जेतली का कहना है कि भारत-अमरीका के वार्षिक व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य कोई ‘दिवास्वप्न’ नहीं है क्योंकि भारत में अमरीकी कंपनियों को कई तरह के अवसर मुहैया करवाए गए हैं। विशेषकर रक्षा और विमानन क्षेत्र में उन्हें बेहतर अवसर दिए गए हैं। जेतली ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत-अमरीका के संबंध बहुत मजबूत सांझेदारी के रूप में उभरे हैं। साथ ही ‘मिशन-500’ जैसे लक्ष्य और इस सांझेदारी के विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया गया है।

भारत में श्रमिकों की हड़ताल अब पुरानी बात
अमरीका के व्यापार प्रतिनिधि (यू.एस.टी.आर.) के आंकड़ों के अनुसार भारत अमरीका का 9वां सबसे बड़ा व्यापारिक सांझीदार है। पिछले साल दोनों देशों के बीच 67.7 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। यह भारत के पक्ष में रहा जिसमें उसका 24 अरब डॉलर का अधिशेष है। भूमि एवं श्रम सुधारों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में सरकार ने सुधार प्रक्रिया शुरू की है। इसमें तत्काल कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने राज्य सरकारों को भूमि अधिग्रहण कानूनों में जो आवश्यक बदलाव करना चाहते हैं उसकी अनुमति दी है।’’ जेतली ने माना कि भारत की श्रम समस्याओं के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया है। देश में श्रमिकों की हड़ताल अब पुरानी बात हो चुकी है। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में कोई बाधा नहीं है। उदाहरण के लिए बैंकिंग और विमानन क्षेत्र के सुधारों को देखा जा सकता है। पिछले साढ़े 3 साल में सरकार ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य का कड़ाई से पालन किया है। जी.एस.टी. में किसी तरह के पैटर्न की खोज करना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि यह अभी परिवर्तन का दौर है।
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अमरीका में भारत के प्रति ‘सकारात्मक रुख’
जेतली ने कहा है कि अमरीका में भारत के प्रति ‘सकारात्मक रुख’ है और अमरीकी निवेशकों को उन सुधारों की स्पष्ट समझ है जो सरकार अर्थव्यवस्था के विस्तार तथा भविष्य की संभावनाओं के मद्देनजर उठा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘अमरीकी निवेशकों को अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए भारत द्वारा किए जा रहे सुधारों की बहुत अच्छी समझ है।वाशिंगटन में उन्होंने अमरीका के वित्त मंत्री स्टीवन म्नूचिन और वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस के साथ द्विपक्षीय व्यापार तथा आर्थिक संबंध एवं समान चिंताओं के मुद्दों पर बातचीत की। वाशिंगटन में अपनी यात्रा के पहले दिन जेतली जी-20 देशों के मंत्रियों के साथ दोपहर के भोज में शामिल हुए। जेतली ने जी20 वित्त मंत्रियों और केन्द्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष विभिन्न प्रकार की चुनौतियां हैं और जी20 को उनका सामना करने का प्रयास करना चाहिए।

जेतली ने एच-1बी वीजा का मुद्दा उठाया 
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने अमरीका के वित्त और वाणिज्य मंत्रियों के साथ एच-1बी वीजा में सुधारों तथा एल-1 वीजा प्रक्रियाओं का मुद्दा उठाया। जेटली ने कहा कि भारतीय पेशेवरों द्वारा अमरीकी अर्थव्यवस्था में योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने मजबूती से एच-1बी-एल1 वीजा प्रक्रियाओं और सामाजिक सुरक्षा योगदान में सुधार पर जोर देते हुए कहा कि इससे अमरीकी हितों के लिए सेवाएं दे रहे उच्च दक्षता वाले भारतीय पेशेवरों को अनुचित तरीके से उनके लाभ से वंचित नहीं किया जा सकेगा।    
 


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