बंगाल कृषि में पीछे, मानने को तैयार नहीं मंत्री

Friday, Dec 02, 2016 - 04:16 PM (IST)

कोलकाता: नीति आयोग के 3 सदस्यीय कृषि विशेषज्ञ प्रतिनिधि दल ने यह दावा किया है कि पश्चिम बंगाल कृषि क्षेत्र में पीछे हैं। दल ने यह बात राज्य के कृषि मंत्री पुर्णेंदु बोस के साथ हुई बैठक के दौरान कही। राज्य में कृषि की स्थिति पर सर्वे करने के बाद केंद्र की टीम ने कृषि मंत्री के साथ बैठक की। मौके पर मुख्य सचिव बासुदेव बनर्जी एवं कृषि सचिव संजीव चोपड़ा भी मौजूद थे। बैठक में उन्होंने बताया कि राज्य कृषि के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है।

इसलिए इस क्षेत्र में विकास की जरूरत है। प्रतिनिधि दल के सदस्यों ने कुछ परामर्श भी दिए। केंद्रीय टीम के सदस्य जेपी मिश्रा ने  कहा कि राज्य में कृषि के क्षेत्र में समस्या है उत्पादन बढ़ाना होगा। किसान क्रेडिट कार्ड की संख्या बढ़ानी होगी। कृषि ऋण पर जोर देना होगा। केंद्रीय टीम के अनुसार कृषि उत्पादन में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है।

केंद्रीय प्रतिनिधि दल के इस सर्वे को कृषि मंत्री ने मानने से इनकार कर दिया। बोस ने कहा कि उनका सर्वे ठीक नहीं है। राज्य में धान एवं आलू का अधिक उत्पादन होता है। अच्छे उत्पादन के फलस्वरूप राज्य को कृषि कर्मन पदक भी मिला है। वह लोग महाराष्ट्र मॉडल को लागू करना चाहते हैं, अर्थात खुली अर्थव्यवस्था। हमलोग इसके विरोध में है। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या करने की सबसे अधिक घटना होती है। बंगाल के किसान आत्महत्या नहीं करते हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के कारण सहकारिता बैंकों से ऋण नहीं मिलने के फलस्वरूप रबी की खेती प्रभावित हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने कृषि क्षेत्र का फंड कम कर दिया है। बाढ़ से हुई क्षति की भरपाई के लिए केंद्र ने राज्य को एक रुपया भी नहीं दिया।

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