रात भर

punjabkesari.in Sunday, Feb 25, 2018 - 05:04 PM (IST)

करवटें बदलते रहे रात भर, 
यादों में जलते रहे रात भर, 
कदमो तले मिट्टी धुआं हो गई, 
हम सपनो में तेहलते रहे रात भर |

 

कुछ किस्से स्याही में डूबते रहे, 
हम उनको ही लिखते रहे रात भर, 
कुछ लफ्ज़ जो तेरे करीब थे बड़े, 
कागज़ पर मचलते रहे रात भर |

 

कुछ भीगी सी पलके थी भारी हुई,
कुछ ओंस की बूँदे चिंगारी हुई,
इक पल तो लगा तूं पास है खड़ी,
मै देहल उठा तूं लगी जो हारी हुई |

 

जिस तकिये पर तेरा नाम था लिखा,
हम उसपे सुलघते रहे रात भर,
पल - पल था मुझपे जो भारी हुआ,
"रूह" मौसम वो बदलते रहे रात भर |

 

करवटें बदलते रहे रात भर,
यादों में जलते रहे रात भर,
कदमो तले मिट्टी धुआं हो गई,
हम सपनो में तेहलते रहे रात भर |

 

रूह
 


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