वीकेंड

Friday, Mar 16, 2018 - 11:14 AM (IST)

वैसे मेरे पति को 2 दिन मिलते है हफ्ते के अंत के छुट्टी के लिए। पर वो भी नाम के ही होते है।कहने को छुट्टी पर आलस भरा दिन रहता है। पूरा हफ्ता मैं बिजी रहती हूँ वीकेंड आते ही उत्साह होता है कि पति की छुट्टी है कुछ नया होगा बोर नही होउंगी। पर ये क्या उस दिन हमसे ज्यादा आलसी पतिदेव नज़र आते है। बोहोत बार बाहर चले जाते है पर बाहर हमेशा तो नही जा सकते। घर मे रहते है तो या तो फोन में लग जाते है या फिर tv या फिर लैपटॉप। शायद ये कहानी हमारी नही बोहोत सी औरतों की भी हो सकती है पतिदेव से ज्यादा तो हम लोह सखी सहेलियों के साथ एन्जॉय कर लेते है। वीकेंड का मतलब हमारी सोच में कल्पना में कुछ ऐसा होता है“ पति देव के साथ बैठकर अच्छी अच्छी बातें करेंगे। उनके साथ पूरे हफ्ते की बात करेंगे। कुछ चटपटी बातें बताएंगे कुछ उनकी सुनेंगे साथ मे बैठकर खाना खाएंगे। और सोएंगे तो बिल्कुल भी नही दोपहर में हां अगर बोर होने लगे तो कुछ ना कुछ गेम खेल लेंगे जैसे- कैरम या कार्ड या फिर अंताक्षरी बस यूँही हँसते गाते वीकेंड बीत जाएगा।“ पर सत्य कुछ और ही होता है बिल्कुल उल्टा पतिदेव बिचारे पूरे हफ्ते काम कर करके थक जाते है तो 2 दिन उबासी मारते मारते निकलते है उनके। और हम घुस जाते है किचन में काम करने को फिर पतियों की फरमाइश आती है कि क्या खाएंगे। काम निपटा कर जाकर बैठते है तो पतियों को नींद आने लगती है। चलो कोई बात नही आधा दिन पडा है ये सोचकर हम मन को समझा लेते है फिर उनके उठने का इंतज़ार करते है। सोचते है उठकर आएंगे तो बात करेंगे। उठने में ही शाम का पहर हो जाता है मतलब एक तिहाई दिन गया। सोचते है अब बात करेंगे थोड़ी बात शुरू होती है तो घर का राशन फला रिश्तेदार का फलाना ढिकाना। अरे हमको क्या करना है रिश्तेदार से हमे तो आपके साथ समय बिताना है खैर ये सब बात के बाद रात के खाने का menu decide होता है। सब काम से निपट कर हम सोचते है चलो छोड़ो जाने दो कल का दिन अभी बचा है कल का दिन मन मुताबिक चलेगा ये सोचकर थक थककर हम सोने चल देते है। और अगले दिन फिर वही काम वीकेंड का तो जैसे नाम ही रह जाता है।

 

नेहा शर्मा

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