उलझन

Wednesday, Sep 25, 2019 - 11:52 AM (IST)

रोज सुबह मैं किसी उलझन में रहता हूं।
कभी प्यार में तो कभी दोस्ती,
तो कभी इन सांसारिक बंधन में मोहित हो जाता हूं,
रोज सुबह मैं इस उलझन में रहता हूं।

कभी आशाओं में तो कभी उम्मीदों,
तो कभी इस भ्रम की दुनिया में रह लेता हूं,
रोज सुबह मैं इस उलझन में रहता हूं।

कभी सही तो कभी गलत,
तो कभी दिल की राह को चुन लेता हूं,
रोज सुबह मै इस उलझन में रहता हूं।

कभी अमीरी की तो कभी गरीबी,
तो कभी आर्थिक फैसलों में फंस जाता हूं,
रोज सुबह मैं इस उलझन में रहता हूं।

कभी भलाई तो कभी बुराई,
तो कभी कुछ अच्छे के लिए गलत कर देता हूं,
रोज सुबह मै इस उलझन में रहता हूं।


कभी खुशी तो कभी गम,
तो कभी इस और की खुशी में जी लेता हूं
रोज सुबह मै इस उलझन में रहता हूं।
रोज सुबह मैं किसी उलझन में रहता हूं।

गौरव श्रीवास्तव

Seema Sharma

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