राम रहीम पर दो रचनाएँ

punjabkesari.in Saturday, Dec 16, 2017 - 05:10 PM (IST)

बट्टा ला दिया तन्नै, बदनाम करी साधुआँ की जमात।
भूल गया तू ईश्वर के भजन करा करैं साधु दिन रात।।
गृहस्थी आला बाबा बना, माया ठगनी छूटी कोण्या,
फकीरी बाणा ले लिया पर मोह की डोर टूटी कोण्या,
या राम नाम की अमृत घूँट तेरे प गयी घुटी कोण्या,
नान्हीं छाननी तो दूर, राम नाम की बूटी कुटी कोण्या,
राम की माला पकड़ ली पर भक्ति म्ह तपाया ना गात।
भूल गया तू ईश्वर के भजन करा करैं साधु दिन रात।।

 

उन्नीस सौ नब्बे म्ह तन्नै गद्दी मिली तू फुला ना समाया,
बैठ गद्दी प साम, दाम, दंड, भेद तै आपणा कद बढ़ाया,
सब कुछ भूल गया तू इसा यू कद बढ़न का नशा छाया,
परिंदा बी पर ना मार सके तन्नै इसा आपणा घर बनाया,
राजनीति म्ह दखल देन लाग्या तेरी सारै नेता मानै बात।
भूल गया तू ईश्वर के भजन करा करैं साधु दिन रात।।

 

सन दो हजार दो म्ह गुमनामी चिट्ठी तै मचा तहलका,
के हाई कोर्ट देखै के प्रधानमंत्री सब का रोष छलका,
पूरा सच म्ह छपी या खबर हैरान रहग्या साबत हलका,
फेर छत्रपति की होई हत्या फेर इल्जाम लग्या कत्ल का,
सीबीआई की जाँच बैठी, शतरंज की बिछ गई बिसात।
भूल गया तू ईश्वर के भजन करा करैं साधु दिन रात।।

 

सन दो हजार बारा म्ह फेर तै तू नये विवाद म्ह घिरग्या,
भका कै बनाये नपुंसक भगत न्यू उम्मीदां प पानी फिरग्या,
देख पाखंडा नै रणबीर सिंह की आँख्यां म्ह पानी तिरग्या,
जान कै असलियत थारी कालजा सुलक्षणा का चिरग्या,
उस सच्चै करतार नै इब दिखाई तेरी असली औकात।
भूल गया तू ईश्वर के भजन करा करैं साधु दिन रात।।

 


 डॉ सुलक्षणा 


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