अपनों से मिलने की आस

punjabkesari.in Sunday, Apr 22, 2018 - 03:45 PM (IST)

घना अँधेरा
निश्बद, शांत
पथ पर शांति अनंत
प्रतीत होता ऐसे
ब्रह्माण्ड में चुप्पी छायी हो जैसे
नींद के आगोश में सब है सोये हुए
मस्त सपनो में जैसे खोये हुए
सहसा टुटी निशब्दता
आई कोई आहट
देखा बड़े गौर से
आ रहा था कोई अविचल
थके कदमो से
भारी नयनो से
पीठ पर सुबह से शाम का बोझ लिए
होंठो पर जबरदस्ती मुस्कान लिए
मन में अपनों से मिलने की आस लिए

 

उमेश शर्मा

 


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