जब तक नभ में तारे चमकें

Sunday, Dec 17, 2017 - 05:03 PM (IST)

हे उठो वीर भारत वासी, समय है तुम्हे पुकार रहा,
पश्चिम और उत्तर में दुश्मन, देखो तुम को ललकार रहा.
पीड़ित हो उठा देश मेरा, घर के ही कुछ गद्धारो से,
उठो, मुक्त करो भारत, तुम देश विरोधी नारों से.
जो आग लगाये तिरंगे को, तुम भस्म करो उसके घर को,
जो शत्रु का गुणगान करे, सूली पे चढ़ा दो उस नर को.
जो बुरी नज़र हम पर डाले, तुम फोड़ दो उनकी आँखों को,
जो सेना पर पत्थर फैंके, तुम तोड़ तो उनके हाथो को.
क्यों, गुंडों को शहीद कहते, उन्हें देते हो मुआवजा हानि का,
यह अपमान नहीं तो और है क्या, सीमा पे शहीद सेनानी का.
हे कृषण मुरारी चक्रधारी, बन जाओ रक्षक भारत के,
गोपियों का कृषण तो बहुत बने, अब बनो कृषण महाभारत के,

 

भारत की रक्षा हेतु तुम, फिर पाञ्चजन्य का नाद करो,
जो भारत को हानि पहुंचाये, तुम उसके कुल को बर्बाद करो.
हे कृपा निधान, हे परमेश्वर, हे संकट मोचन अविनाशी,
मेरा देश और भी ऊंचा हो, हों देशभक्त भारतवासी.
हर घर में हो पाठ रामायण का, हर घर में गान हो गीता का,
हर पुरुष में राम नजर आये, हर नारी में वास हो सीता का.
हर नारी हो लक्ष्मी बाई, हर पुरुष वीर प्रताप बने,
थर थर कापे दुश्मन हम से, हम शत्रु का अभिशाप बने.
फिर विश्व गुरु बन कर उभरे, हर वक्त इस का गुणगान रहे,
ना आँख मिला पाए दुश्मन, भारत इतना बलवान रहे,
हो ऊंचा मस्तक भारत माँ का, उसका धानी परिधान रहे,
दुनिया में तिरंगा लहराये, जग में इस का सम्मान रहे,
जब तक नभ में तारे चमकें, तब तक ये हिन्दुस्तान रहे. (2)

 

समर तो शेष रहेगा

जब तक भ्रष्ट रहेंगे नेता, समर तो शेष रहेगा
गर कोई अन्य से श्रेष्ठ रहा किसी का दर्जा विशेष रहेगा.
नर कंकाल सी काया इनकी, और आँखों में भूख,
अन्न बाहुल्य के भारत में रही इन की काया सूख.
नहीं बह्केगें भारतवासी, अब कोरे नारों से,
उपजेगा विद्रोह कभी तो इन निरीह, लाचारों से.

 

क्रंदन करते पीड़ित, शोषित, अपनी सूनी राहों से,
जल जाएगा संसार तुम्हारा निर्धन की आहों से.
आज दबे हैं होंठ इन्हीं के अपने ही दांतों से,
लेकिन जिस दिन ऊब गए ये कोरी झूठी बातों से,
इन होंठों से बह निकलेगी लहू की ऐसे धारा,
मिट जायेंगे अत्याचारी, हर्षित होगा जग सारा.

 

एम. आर. सेठी
 

Advertising