जिंदगी परिवर्तन की सच्चाई और कुदरत का सच।

punjabkesari.in Friday, Dec 15, 2017 - 04:00 PM (IST)

जैसे बहता हुआ जल, पाहाङो से चलकर, मैदानो से होते हुए समनदर मे मिलने तक का सैकडो मिल का सफर, कभी धीरे, कभी तेज गती से निरॅतर चलता रहता है। ईसी तरह, ईनसान के जीवन मे वकत के साथ, बाल रूप से लेकर बुढापा आने तक का सफर निरॅनर बिना रूके चलता रहता है। आईए ईसकी तुलना कुदरती जल के सफर से करते है।

 

1. बालक रुप। 

बरसात के सफर की शुरुआत पहाडो से करेँ।
जैसे पहाडोँ मे बारीस शुरु होती है,
इँसान रुप मे बालक का जनम होता है।
पहाडो मे जल का रुप बहुत साफ-सुथरा और पिआरा लगता है,
बालक का रुप पहाडो मे जल के समान होता है,
एकदम निरमल, कोमल आदि। सभी इँसान जीवन के सफर मे
इसका अनुभव कर चुके है।

 

2. बालपन-नटखट रुप।

पहाडो मे जब जल एकञ होता है, तो उसकी राह पहाड की
ढलान की तरफ होती है। राह मे नीचे जाते समय़ जल पहाडो मे
से गुजरते समय उछल-उछल कर नीचे की और जाता है, जिसे
हम छोटे-छोते झरने कहते है, और ये बडे पियारे और सुनदर
लगते है। ईस राह को हम बालक के नटखट रुप मे देख सकते
है। जैसे पहाड़ो से चलते वकत, बहते जल की मधुर डवनी
(आवाज) होती है, ऊसी तरह घर मे जब छोटे बचचे खेलते और
मसती के जोश मे उछलते और खेलते है, तो यह वातावरण
पहाडो से बहते हुए जल के समान खुबसुरत, कभी न भुलने
बाला, साफ-सुथरा, सभी को मोहित करने वाला सदा बहार जीवन
का हिससा बन कर रह जाता है।

 

3.किशोर अवसथा।

छोटे-बडे अनेक झरने बहते हुए जल को पार करने के बाद, अचानक एक दिन, एक बडी उछाल वाला झरना (`big waterfall), राह मे आता है,और जैसे ही अपने जीवन मे बडी उछाल जल जैसे लगाता है, जल का मैदानी धरती से होकर जाने के वकत के शुरु होने का जोरदार, बडी आवाज से शॅखनाद होता है, जैसे बडे झरने से जल गिरने की आवाज आती है। ऊसी तरह अपने जीवन मे चलते चलते अचानक बडे परीवर्तन के साथ किशोर
अवसथा की शुरुआत होती है।

बडे झरने के आगमन तक का सफर प्राइमरी शाला पार करने के बाद आता है। यहॉ से जल छोटी-बडी छोटी नदी मे विलीन होता रहता है। जैसे ईनसान रुप मे बचचा, घर से पाठशाला, पढने के बहाने, अनेक तरह के नए राह और रासतो से सफर करता है। बहते हए जल के सफर मे तीन तरह का मिलन होता है।

पहला - किनारे, नदियो के वहॉ का वातावरण, ईर्द गिर्द पेडो की खुशबु, जल के जीवन को परभावीत करता है।

दुसरा – किनारो के आसपास बसे हर तरह के जीव-जनतु, और ईनसान।

तीसरा – बहते जल मे रहने वाले प्राणी।


जल के सफर मे किनारे हमेशा वकत के साथ, हमेशा बदलते रहते है। वातावरण भी उमर और सफर के साथ बदलता रहता है। जल के साथ रहने और चलने वाले जीव-जॅतु वकत के साथ बदलते रहते है। 

यही बाते जीवन की सचचाई है,
ईसी को कुदरत का नियम कहते है।
ईनसान के जीवन मे बकत के साथ

 

1.साथी

बहते जल मे जैसे नाव, नाविक, नाव मे सवारी
हमेशा जल के आगे बदने पर बदलते रहते है,
उसी तरह, जीवन कदम दर कदम वकत के साथ चलने पर,
साथी अपने आप बदल जाते है।

 

2 आस – पडोस / वातावरण 

बालक रहते माता पिता, सगे रिशतेदार, आस-पडोस,
पाठशाला शुरु होते ही, हर साल नया माहोल,
पढाने वाले शिक्षक, साथ बैठने वाले बालक, पढने वाली
किताबे, पहनने वाले कपडे उमर और वकत के साथ शरीर के
बडे हुए रुप के साथ पहनने के लिए नए नाप के कपडे सिलवाने
पडते है, और...... यहा तक कि खेलने वाले खिलोने और साथ
खेलने वाले खिलाडी भी बदल जाते है।
सभी कुछ वकत और उमर के बढने के साथ
निरॅतर बदलता रहला है।

 

3. मतलब

हम ईनसान की सब से बडी कमजोरी,
हम हर बीते हुए समय मे अचछा या बुरा साथ निभा चुके पुराने
साथी को मतलब का साथ कहने से नही चुकते,
यदि हम कुदरत के नीयम को समझ ले,
या मन मे कुदरत के नीयम को मन मे बसाले,
तो हम इस बात को इस परकार कहेगे,
जिसके साथ कुदरत ने जितना समय बीताने का निर्दारीत किया
है, उससे जयादा एक पल भी अपनी इचछा होते हुए भी अदिक
समय नही बीता सकते।
जैसे जल निरनतर किनारा दर किनारा बदल कर समुदर मे
जाकर उसका सफर समापत होता है,
ईसी तरह, इनसान की जिनदगी का हर किनारे और इनसान के
साथ बीतने वाले हर पल का सदउपयोग करे,
निनदा मे अपने और अपने साथी का वकत न बर्बाद करे.
और बीते हुए किनारो पर जाने की कोशिश न करे।
याद रखे, बहता हुआ जल उसी राह पर वापस कभी नही जाता।
केवल आगे की राह पर निरॅतर चलता रहता है।
ये बाते, जीवन की सचचाई है।
ईनसानी जीवन निरनतर वकत, उमर के साथ, जल के सफर के
समान ईनसान का जीवन वकत के सफर के चलते हमेशा
बदलता है और बदलता रहेगा।

 

श्याम अरोड़ा

9422245019


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