संतोष में सफलता

punjabkesari.in Friday, Sep 25, 2020 - 01:31 PM (IST)

हैं वे - जो दौड़ते रहते हैं सदैव,
संतोष ढूँढ़ने - सफलता में,
हैं वे भी - जो सफलता ढूंढ़ते हैं - संतोष में,
भौतिक आकांक्षाओं के बोझ तले,
क्यों है बिखर रहा - हे मानव ?
ऐसा भी क्या है जीना -
जी रहा है जैसा - घुट घुट कर तू ,
भागता रहता है - एक अनजान उत्कण्ठा के पीछे,
एक अज्ञात भय का आवरण ओढ़े I

खुलने भी दे थोड़ा - मन के झरोखे को,
आने भी दे निर्मल शीतल पवन के झोकों को,
प्रकाश की किरणों को,
होने भी दे आलोकित - मन के अंतस्तल को,
प्रकृति की ओर निहार कर तो देख,
बहुत कुछ है जीवन में - आनंदित होने को,
है ये एक ऐसा अवसर –
करता है जो लालायित - देवों भी को,
आलिंगन कर प्रत्येक क्षण का,
संतोष करना तो सीख I

हैं वे जो निराशा के समुद्र में डूबे –
करते हैं प्रत्येक क्षण - मरने की बात,
हैं वे भी - जो करते हैं सदैव,
आशा की लहरों में गोता लगाते - जीने की बात,
यह जीवन तो एक नदिया है,
हाथ पैर मारता रह - सही दिशा में,
बहता रह साहसी बन कर,
किनारे तो मिलते ही चले जायेंगे,
संतोष में सफलता ढूंढ कर तो देख I

हैं वे भी - जो सफलता ढूंढ़ते हैं - संतोष में,
हैं वे भी जो सफलता प्राप्त करते हैं - संतोष में II

(भगवान दास मोटवानी)


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