भारत में वेश्यावृत्ति की हक़ीकत
punjabkesari.in Saturday, Jan 06, 2018 - 04:08 PM (IST)

एक बांग्लादेश की महिला के साथ विश्वासघात हुआ और उसके ही सहकर्मी ने इसे सिर्फ पचास हजार रुपये में एक नेपाली औरत को बेच दिया। बांग्लादेश की एक गारमेंट फैक्ट्री में 9000 रुपये महीने पर नौकरी करने वाली तलाकशुदा महिला शबाना ( बदला हुआ नाम) को उनके ही एक सहकर्मी ने इंडिया में अच्छी नौकरी का लालच दिया, उस सहकर्मी पर भरोसा कर वो बिना अपने मां-बाप को बताये ही दलाल के माध्यम से मुंबई पहुंच गई, लेकिन वहां पर उसके साथ विश्वासघात हुआ और उसके ही सहकर्मी ने इसे सिर्फ पचास हजार रुपये में एक नेपाली औरत को बेच दिया, जो एक वेश्यालय चलाती थी। फिर शबाना को ना चाहते हुए भी देह-व्यापार करना पड़ा।
मुंबई से बेंगलुरु फिर अलग-अलग शहरों में देह-व्यापार के अड्डों से होती हुई, अलग-अलग लोगों के चंगुल में फंसने के बाद आखिर में उनका ठिकाना बना पुणे का रेड लाइट इलाका। वहीं से हाल ही में पुणे पुलिस ने उन्हें छुड़ाया और एक एनजीओ के सुपुर्द कर दिया, इस संस्था के लोगों ने ही मुंबई में बांग्लादेशी उच्चायोग से जुड़े ऑफिस से संपर्क किया और शबाना के घर वालों का नाम ठिकाना बताया। जांच-पड़ताल के बाद उन्हें उनके देश वापस भेजने की तैयारी की गई, अगर सबकुछ सामान्य रहा, तो वो 15 मई तक अपने देश बांग्लादेश वापस लौट जाएगी। शबाना की स्टोरी भी दूसरी हजारों असहाय नारियों की तरह ही लगती है, जो अच्छी नौकरी की तलाश में भारत आते हैं और एक अंधेरी जिंदगी में फंस जाती हैं। लेकिन शबाना की स्टोरी में एक मोड़ है, वो भारत से लौटने से पहले पीएम मोदी को एक मर्मस्पर्शी चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होने लिखी है कि "भारत में अपने ग्राहकों से टिप में मिले कुछ पैसे उन्होने बचा रखे हैं, लेकिन उनमें से ज्यादा पांच सौ और हजार के पुराने नोट हैं, जो कि रद्द हो चुके है, अत्यंत कष्ट और कलंक उठाकर कमाये गए उनके कुछ हजार रुपयों को यदि मोदी जी बदलवा दें, तो वो उनकी कृतज्ञ रहेंगी।"
इस भावुक लेटर का रुपाली शिभारकर ने हिन्दी अनुवाद किया है, फिर इस चिट्ठी को शबाना की ओर से पीएम मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट कर दिया गया है। आपको बता दें कि पीएम मोदी और सुषमा स्वराज ट्विटर पर काफी सक्रिय रहती हैं, वो नियमित रुप से ट्वीट चेक करते हैं, और अक्सर मुश्किल में फंसे लोगों की मदद करते हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि वो शबाना की भी चिट्ठी देखें और उनकी मदद करें। उनकी इस चिट्ठी को कई समाचार माध्यमों ने भी रिपोर्ट की है, इसी चिट्ठी में शबाना ने लिखा है कि बेंगलुरु में रेड लाइट इलाके में काम करते समय कोठे के मालिक हाथ में एक भी पैसा नहीं देते थे, लेकिन कुछ ग्राहक खुश होकर टिप दे देते थे, वो मैं पेटीकोट के भीतर किसी तरह से छिपाकर रख लेती थी, लेकिन अब वो नोट चलन से बाहर हो चुके हैं। मोदी जी अगर वो नोट बदलवा दें, तो कुछ पैसे लेकर अपने घर जा सकूंगी।
पश्चिम बंगाल के 24 परगना की सायमा (बदला हुआ नाम) को इसका बिलकुल आभास नहीं था कि जिसकी मोहब्बत में वो अपने गाँव से भागकर मुंबई जा रही हैं. दरअसल वही उसका सौदागर बन जाएगा. सायमा को जिस्म फरोशी की मंडी में बेच दिया गया था. तब उनकी उम्र महज़ 16 साल थी. शारीरिक और मानसिक रूप से कमज़ोर सायमा उन यातनाओं को याद कर सिहर उठती हैं जो उन्होंने बेचे जाने के बाद सहीं थीं. सायमा अकेली नहीं हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि पूरे भारत में मानव तस्करी की शिकार लड़कियों में से 42.67 प्रतिशत सिर्फ पश्चिम बंगाल की हैं. देह व्यापार के लिए तस्करी का शिकार हुई ज़्यादातर पीड़ितों को वही सब कुछ झेलना पड़ता है जो सायमा ने झेला. इनमे से कुछ का अनुभव और भी बुरा है. सामजिक कार्यकर्ता बैताली गांगुली कहती हैं कि पश्चिम बंगाल न सिर्फ देह व्यापार के लिए की जा रही मानव तस्करी का बड़ा केंद्र है बल्कि यह बांग्लादेश और नेपाल से तस्करी का शिकार हुई लड़कियों का 'ट्रांजिट प्वॉइंट' भी है.
उनका कहना है कि तस्करी का शिकार हुई ज़्यादातर लड़कियों को या तो कोलकाता में एशिया की देह व्यापार की सबसे बड़ी मंडी 'सोनागाछी' में बेच दिया जाता है या फिर उन्हें उन महानगरों में बेचा जाता है जहां 'डांस बार' का धंधा जोर शोर से चल रहा है. पश्चिम बंगाल की सरकार और कुछ समाजिक संगठनों ने ऐसी लड़कियों को मानव तस्करों के चंगुल से बचाने के लिए व्यापक अभियान चलाया है.अभियान के दौरान देश के विभिन्न 'रेड लाइट' इलाकों और डांस बारों से बहुत सारी लड़कियों को बचाया भी गया है. मगर सामजिक संस्थाओं के सामने इन लड़कियों के पुनर्वास की समस्या सबसे बड़ी चुनौती के रूप में रही है क्योंकि यातना और शोषण के बाद इनमें मनोवैज्ञानिक अस्थिरता के लक्षण पैदा हो जाते हैं.
देह व्यापार के लिए तस्करी का शिकार हुई ऐसी ही लड़कियों को 'ट्रामा' यानि अवसाद से बाहर निकलने के लिए सामाजिक संगठनों ने संगीत और नृत्य का सहारा लिया है. 'समवेद' नामक एक ग़ैर सरकारी संगठन ने तस्करी का शिकार हुई इन लड़कियों को उनके पुनर्वास केंद्रों पर ही जाकर संगीत और नृत्य के माध्यम से ज़िन्दगी को दोबारा जीने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया है. 'समवेद' की सोहिनी चक्रवर्ती मुझे उस जगह ले जाती हैं जहां ऐसी लड़कियों को नृत्य और संगीत की 'थेरेपी' दी जा रही है. वो कहती हैं, "ये नृत्य और संगीत इस तरह से पिरोया गया है ताकि इन्हें यह मुक्ति का अहसास दिला सके. मुक्ति पिछली ज़िंदगी से. पिछले अनुभवों और कड़वी यादों से." सोहिनी का कहना है कि यातनाएं झेलने के बाद इन बचाई गई लड़कियों का व्यवहार बिलकुल बदल जाता है. ये ना किसी से बात करना चाहती हैं. ना, घुलना मिलना, "इनके अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है.
संगीत और नृत्य इन्हें इन सबसे मुक्ति देने में मदद करता है." मगर इस पूरी थेरेपी की प्रक्रिया में इस बात का ख़याल रखा जाता है कि केवल वाद्य संगीत ही बजाया जाए क्योंकि उसके बोल इन पीड़ित लड़कियों को फिर से उसी दौर की याद दिलाते रहेंगे जो वो याद नहीं करना चाहती हैं. इसमें कुछ विदेशी संगीत के अलावा शास्त्रीय संगीत और कत्थक और भरतनाट्यम जैसी नृत्य शैलियों को इसमें शामिल किया गया है. यहाँ मेरी मुलाक़ात नीतू से हुई जो तस्करी का शिकार होने के बाद कोलकाता के ए पुनर्वास केंद्र में रहती हैं. नीतू ने बताता कि जब उन्हें 'रेड लाइट' के इलाके से बचाया गया था तब वो बिकुल टूटी हुई थीं. वो बताती हैं, "मेरे साथ जो कुछ हुआ उसके बाद मैं जीना नहीं चाहती थी. न किसी से मिलना चाहती थी न अपने घर ही वापस लौटना चाहती थी. लगता था मानो ज़िन्दगी अब ख़त्म हो गई. मगर जब मैंने नृत्य और संगीत का सहारा लिया तो सबकुछ बदलता नज़र आया. ऐसा लगा जैसे मुझे मुक्ति मिल रही हो."
आज नीतू की तरह कोलकाता के पुनर्वास केंद्रों में रहने वाली कई ऐसी लडकियां हैं जो खुद संगीत और नृत्य के जरिए इस अवसाद से उबर गईं हैं. अब वो बतौर प्रशिक्षक पुनर्वास केंद्रों में रह रही दूसरी लड़कियों को अपनी ज़िंदगी दोबारा जीने के लिए प्रोत्साहित करने का काम कर रही हैं. देश के लगभग हर राज्य के किसी न किसी इलाके में देह व्यापार का धंधा अपने पैर पसारे हुए है, जहां लाखों महिलाएँ दुनिया से कटकर बेबस ज़िंदगी जी रही हैं। ऐसी बहुत ही कम महिलाएं होती हैं जो अपनी मर्जी से देह व्यापार के धंधे में आती हैं। ज़्यादातर महिलाएं ऐसी ही होती हैं जिनके सामने या तो कोई मज़बूरी होती है या अनजाने ही इन्हें इन बदनाम बाज़ारों में बेच दिया जाता है। भारत में वेश्यावृत्ति का चलन आज का नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है।
प्राचीन भारत में 'नगरवधू' हुआ करती थीं। दूसरीं सदी में ईसापूर्व में लिखी गई संस्कृत की कहानी मृच्छकटिकम में वैशाली की नगरवधू इसी काम के लिये जानी जाती है। दुनिया के तमाम दूसरे रिश्तों से दूर ये महिलाएं न किसी की मां होती हैं, न बहन, न बेटी और न पत्नी, इन्हें सिर्फ वेश्याओं के नाम से जाना जाता है। अपनी इज़्ज़त को दांव पर लगाकर समाज के जाने कितने रसूखदार लोगों का सम्मान बचाए रखने का काम करती हैं ये। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तंग गलियों और स्टोररूम नुमा ऐसे कमरों में रहने वाली ये वेश्याएं, जहां सूरज भी अपनी किरणों को भेजने से गुरेज़ करता है का भारत में बहुत बुरा हाल है। महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 30 लाख से ज़्यादा महिलाएं देह व्यापार में लिप्त हैं। जिसमें लगभग 36 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो 18 साल की उम्र के पहले ही इस व्यापार में शामिल हो गईं।
जबिक ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 2 करोड़ सेक्स वर्कर हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस धंधे में शामिल हैं। देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया देश के महानगर सोनागाछी (कोलकाता) को माना जाता है। यहां लगभग 3 लाख महिलाएं देह व्यापार से जुड़ी हैं। दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाठीपुरा है जहां 2 लाख से अधिक सेक्स वर्कर हैं। फिर दिल्ली की जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवर पेठ हैं। छोटे शहरों की बात करें तो वाराणसी का मडुआडिया, मुजफ्फरपुर का चतुर्भुज स्थान( आंध्र प्रदेश के पेड्डापुरम व गुडिवडा, सहारनपुर का नक्कासा बाजार इलाहाबाद का मीरागंज, नागपुर का गंगा जुमना और मेरठ का कबाड़ी बाज़ार भी इसी बात के लिए प्रसिद्ध है। आंकड़ों के मुताबिक, देश में रोजाना लगभग 2000 लाख रुपये का देह व्यापार होता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 68 प्रतिशत लड़कियों को रोजगार के झांसे में फंसाकर वेश्यालयों तक पहुंचाया जाता है जबकि 17 प्रतिशत लड़कियों को शादी का वादा करके इस धंधे में ढकेल दिया जाता है। मुम्बई पुलिस के दस्तावेजों के मुताबिक बाहर से आकर यहां वेश्यावृत्ति में लिप्त युवतियों में उज्बेकिस्तान की युवतियां सबसे ज्यादा हैं। क्या है वेश्यावृत्ति को रोकने का क़ानून भारत में वेश्यावृत्ति या देहव्यापार अभी भी अनैतिक देहव्यापार कानून के तहत आते हैं। हालांकि देश में समय-समय पर इस बात को लेकर उच्चस्तरीय बहसें चलती रहीं हैं कि क्यों न वेश्यावृत्ति को कानूनन वैध बना दिया जाए। यानी यह कानून व्यर्थ रहा, यह स्वीकार करने के बाद उसकी व्यर्थता के कारणों को जांचने के बजाय इस पूरे धंधे से दंड व्यवस्था अपनी जिम्मेदारी ही समेट ले? राज्य व्यवस्था स्त्रियों के हिंसक उत्पीड़न, शोषण और खरीदे बेचे जाने की पाशविक परंपरा को अपनी मूक असहाय सहमति दे l
'भारतीय दंडविधान' 1860 से 'वेश्यावृत्ति उन्मूलन विधेयक' 1956 तक सभी कानून सामान्यतया वेश्यालयों के कार्यव्यापार को संयत एवं नियंत्रित रखने तक ही प्रभावी रहे हैं। इस कानून के अनुसार, वेश्याएं अपने व्यापार का निजी तौर पर यह काम कर सकती हैं लेकिन कानूनी तौर पर जनता में ग्राहकों की मांग नहीं कर सकती हैं। इस कानून का उद्देश्य भारत में यौन कार्यों के विभिन्न कारणों को रोकना और धीरे-धीरे वेश्यावृत्ति को खत्म करना है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भी भारत में वेश्यावृत्ति अवैध है। अगर कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत करते पाया जाता है तो भी उसके खिलाफ सज़ा का प्रावधान है। अनैतिक आवागमन (रोकथाम) अधिनियम - आईटीपीए 1986 वेश्यावृत्ति को रोकने के लिए बनाया गया है।
इस कानून के अनुसार,जो महिला किसी व्यक्ति को शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाएगी उसको दंड दिया जाएगा। इसके अलावा कॉल गर्ल्स अपने फोन नंबर को सार्वजनिक रूप से पब्लिश नहीं कर सकतीं, ऐसा करने पर उनको 6 महीने के कारावास व जुर्माने का प्रावधान है। किसी सार्वजनिक स्थान के पास देह व्यापार करने पर सेक्स वर्कर को 3 महीने की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है। ग्राहक के लिए - एक ग्राहक अगर किसी वेश्या के साथ सार्वजनिक स्थान के 200 गज के दायरे में संबंध बनाते पाया जाता है या उस पर यौन संबंधों में सलंग्न होने का आरोप लगता है तो उसे तीन महीने के कारावास के साथ जुर्माना देना होगा। अगर सेक्स वर्कर 18 साल से कम उम्र की है तो ग्राहक को कम उम्र के हैं तो ग्राहक को 7 से 10 साल की सज़ा का प्रावधान है। वेश्यालय चलाने पर - कोई व्यक्ति अगर वेश्यालय चलाता है या किसी से चलवाता है या वेश्यालय चलाने में मदद करता है तो उसे 3 साल का सश्रम कारावास व 2000 रुपये का जुर्माना होगा।
यदि वह व्यक्ति दोबारा इस अपराध का दोषी पाया गया तो उसको कम से कम 2 साल व अधिक से अधिक 5 साल का कठोर कारावास व 2000 रुपये जुर्माना देना होगा। स्वास्थ्य एक बड़ी समस्या वेश्याओं की स्वास्थ्य दशा को लेकर हमेशा से ही बहस होती रही है। भारत में एचआईवी संक्रमण के बढ़ने का कारण इन्हें ही माना जाता है। हालांकि पिछले दशक में एचआईवी संक्रमित वेश्याओं की संख्या में गिरावट आई है। एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाची में इनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर एक रोकथाम कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 5,000 वेश्याओं को जागरूक किया गया है। दो लोगों की टीम यहां की वेश्याओं को उनको बीमारियों के बारे में, कंडोम के इस्तेमाल के सही तरीके और इसके फायदे के बारे में बता रही है।
इस कार्यक्रम को 1992 में शुरू किया गया था तब सिर्फ 27 प्रतिशत वेश्याएं कंडोम का इस्तेमाल करती थीं लेकिन 2001 तक 86 प्रतिशत वेश्याएं कंडोम का इस्तेमाल करने लगीं। मुंबई व पुणे सहित देश के बाकी हिस्सों में चल रहे रेड लाइट एरिया में भी इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भारत में वेश्यावृत्ति को क़ानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है इसलिए इन्हें किसी भी तरह के विशेष अधिकार भी नहीं दिए गए हैं। वेश्याओं के भी सिर्फ वही अधिकार हैं जो आम नागिरकों को मिलते हैं। हालांकि अगर यहां वेश्यावृत्ति को क़ानूनी मान्यता प्रदान कर दी गई तो वेश्याएं भी श्रमिक क़ानून के अंदर आ जाएंगी और उन्हें भी बाकी मज़दूरों को मिलने वाले विशेषाधिकार मिल जाएंगे।
समय-समय पर यहां वेश्यालयों को क़ानूनी मान्यता देने की मांग उठती रहती है। 10 मार्च 2016को ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स ने एक संगठन बनाकर देश के 16 राज्यों में एक कैंपेन चलाई थी, इस कैंपेन में 90 सेक्स वर्कर्स शामिल थीं। वह इस बात की ओर सरकार और देश का ध्यान आकर्षित करना चाहती थीं कि उन्हें समाज में सुरक्षा प्राप्त नहीं है। उनका कहना था कि समाज के बाकी लोग जिस तरह से कोई त्योहार या अवसर में शामिल होते हैं हमें उस तरह से भी शामिल नहीं किया जाता। हम बाकी दूसरों कामों की ही तरह देह व्यापार करते हैं इसलिए हमें भी दूसरे कर्मचारियों की तरह पेंशन मिलनी चाहिए और यौन कार्य को भी सार्वभौमिक पेंशन योजना के तहत लाया जाना चाहिए। हालांकि इनकी किसी भी मांग को अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
अनिल अनूप