रामानंद सागर की रामायण ने समय चक्र को घुमा दिया

punjabkesari.in Saturday, May 09, 2020 - 02:07 PM (IST)

मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहु सुदशरथ अजर बिहारी।।

राम सदियों से भारत के आदर्श पुरुष हैं। राम भारत की आत्मा और प्राण है। आज भी राम भारत की चेतना के आकाश पर सर्वोदयमान है और प्रेरणा के असीमित स्तोत्र के रूप में सर्व व्यापक है। 80 के दशक में रामानंद सागर द्वारा निर्मित और निर्देशित "रामायण" इस लॉकडाउन के समय के दौरान एक बार पुनः दूरदर्शन पर प्रसारित की जा रही है। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया(BARC) और डेटा अध्ययन फर्म नीलसन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 28 मार्च- 3 अप्रैल वाले सप्ताह के दौरान दूरदर्शन देश में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला चैनल और रामायण सबसे ज्यादा देखे जाने वाला हिंदी मनोरंजन शो बना। 

आज भी राम का वही सम्मान उनके मर्यादित आचरण के कारण अक्षुण्ण है। 28 मार्च शनिवार को रामायण के पहले एपिसोड को 3.50 करोड़ तो दूसरे एपिसोड को 4.50 करोड़ से अधिक जनता ने देखा। इसी तरह रविवार के दिन 9 करोड़ से अधिक लोगों ने रामायण देखी, इन पहले 4 एपिसोड्स को 690 करोड़ मिनट देखा गया। इसने हिंदी मनोरंजन शो के पिछले 5 वर्ष के सभी आंकड़े पीछे छोड़ दिए। 1987-88 में जब पहली बार छोटे पर्दे पर इस रामायण का प्रसारण किया गया था तो इसकी रेटिंग 82% आंकी गई जो एक अभूतपूर्व कीर्तिमान है, जो भविष्य में भी कभी नहीं टूट सकता। जिस समय रामायण प्रसारित हो रही है उस समय दूरदर्शन देखने वालों की संख्या 60 गुना बढ़ी है। 

यह उन लोगों को भी करारा जवाब है जो यह सवाल कर रहे थे कि आखिर किन चुनिंदा लोगों की मांग से ऐसे विपरीत समय में रामायण और महाभारत का पुनः प्रसारण किया जा रहा है। ऐसे लोग प्रवासी मजदूरों के अपने क्षेत्रों की ओर पलायन करने के विषय को रामायण प्रसारण करने के निर्णय से जोड़कर देख रहे थे, जबकि इन दो विषयों का आपस में कोई लेन-देन नहीं है।

ताजा की पुरानी यादें
इसी बीच बहुत सारे लोग पुराने दिनों की यादें ताज़ा करके अपने अनुभव बांटते नजर आए। आज माता-पिता अपने बच्चों को बड़ी दिलचस्पी और गर्व के साथ बता रहे हैं कि कैसे जब 1987-88 में रामायण का प्रसारण होता था तो पूरे देश में कर्फ्यू जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती थी। तब हर किसी के घर में टीवी नहीं होता था और कई परिवारों, गलियों एवं मोहल्लों के लोग एक साथ ज़मीन पर बैठकर बड़ी श्रद्धा और प्रेम से रामायण देखा करते थे। उस समय केवल हिंदू नहीं अपितु सिख, मुसलमान और ईसाई भी बड़े आनंद से रामायण देखा करते थे। एक दिलचस्प किस्सा पाकिस्तान के एक गांव का भी है जहां पूरे गांव के लोगों ने पैसे इकट्ठे कर रामायण देखने के लिए डिश लगवाई। लोग अपने सारे महत्वपूर्ण काम स्थगित कर एक साथ बैठकर रामायण देखते थे। 

शायद यही रामकथा की परिभाषा है- जो सब और प्रेम शांति का संदेश दे, वही राम है। राम का सारा जीवन धर्म की रक्षा के लिए समर्पित था। राम का स्मरण ऐसे मुश्किल समय में निराशा और अंधकार में डूबे हुए लोगों के लिए संजीवनी है, जिनमें यह आशा और विश्वास जागृत होता है कि साहस और विवेक से निर्णय तथा कार्य करने से सभी विपत्तियों तथा विषमताओं पर विजय हासिल करना संभव है। यह मानवीय क्षमता और मानवीय सद्गुणों को उनके सर्वोच्च शिखर तक ले जाने की पुण्यदायी यात्रा है। भले ही हमारे अंदर कितने ही दोष और दुर्गुण हो, पर आज भी इस संख्या में लोगों का रामायण देखना यह सिद्ध करता है कि इन दोषों को त्याग कर मानवीय अच्छाई, दयालुता और निर्मलता को विकसित करने की प्रबल इच्छा ही भारतीय सभ्यता का संदेश और जीवित लक्षण है। राम को इसलिए पूजते हैं, उनका इतना आदर है क्योंकि हम राम की भांति अपने विकारों पर विजय पा सत्य और धर्म को प्रकाशित करना चाहते हैं। राम का प्रभाव शाश्वत है, वह अनेकों पीढ़ियों तक भारत के मानसपटल पर अंकित हो मानवता को नई ऊंचाइयां छूने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।


(योगेश मित्तल) 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Author

Riya bawa