प्रिंस और उसकी दुनिया भाग 3- (प्रिंस एवं उसके साथियों का रयाती को समझाना)

Thursday, Mar 14, 2019 - 03:15 PM (IST)

पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि भांजा गुरु प्रिंस को बताता है उसे भूतकाल में जाकर रयाती को सब याद करवाना पड़ेगा । भूतकाल जाने के लिए प्रिंस के पिता ही उसकी मदद कर सकते है । परंतु श्राप के कारण प्रिंस राज महल नहीं जा सकता था। 

अब आगे: काफ़ी सोचने के बाद प्रिंस अपने सब से वफादार 6 पैरों वाले घोड़े एवं परिंदे को राज महल के लिए रवाना करता है। राजा को सभी बातों के बारे में पहले ही पता चल चुका था, वह प्रिंस के वफादारों की प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही वो दोनो राज महल पहुंचते है वहां फूलों से उनका स्वागत होता है, राजा उन्हे महल के अंदर लेकर जाता है। वहां महल में परिंदे, तितलियां,बड़े से छोटे आकार के जीव जन्तु घूम रहे थे। महल कम एक जंगल ज्यादा लग रहा था। प्रिंस के दोनों साथी महल के अंदर जा कर अपना कार्य भुल जाते और वहां बनी वस्तुओं को देखने और उनमें खो जाते हैं। तब भांजा गुरु उन्हे अपने जादू से इशारा करता है कि वह ज्यादा देरी ना करें नहीं तो रयाती को बचाना मुश्किल हो जाएगा। 

दोनों साथियों को काफ़ी बुरा लगता है वह तुरंत राजा के पास जाते है, उस समय राजा अपने सिंहासन पर विराजमान थे एवं जनता दरबार में वह व्यस्त थे। जब उन्होंने दोनों साथियों को देखा तो अपना जनता दरबार बंद करवा देते है एवं दरबार से सभी को जाने को कहते है। सभी के चले जाने के बाद राजा उन दोनों साथियों को अपने साथ कमरे में लेकर जाते है वहां उन्हें इंतजार करने को कहता है। तभी राजा उनके सामने एक दरवाज़ा लेकर आते है, वह दरवाजा तांबे और कांसे से बना हुआ था, उस पर शीशे से करागीरी की हुई थी। वो दरवाजा देखने में आम सा लगता था परन्तु जैसे ही राजा ने उसके उपर अपने हाथ की छाप छोड़ी तो वह दरवाजा दो भागों में खुल गया। तब राजा ने कहा तुम मेरे बेटे के दोस्त हो इसलिए मैं तुम्हे इंसान रूप दे रहा हूं। तुम्हरा यह इंसान रूप तब तक रहेगा जब तक तुम कोई झूठ ना बोलो। परंतु जैसे ही तुमने झूठ बोला तुम्हारा यह मनुष्य स्वरूप फिर से पहले जैसे रूप में आ जाएगा। वह दोनों इस वरदान से काफ़ी खुश होते है एवं राजा को वादा करते है कि वह कभी इस वरदान को ख़तम नहीं होने देंगे। ख़ुद को इंसान रूप में देख काफ़ी खुश होते है और उस दरवाज़े के दो भागों को प्रिंस के पास लेकर जाते हैं।

उधर रयाती जिस जेल में बंद थी, वहां डायन उसके पास अपना ख़ास आदमखोर दानव दलन को भेजती है। दलन दानव का कोई रूप नहीं था, वो कीचड़ से बना हुआ एक जीव था, जो अपने बीच सब को समा लेता था। जैसे ही दलन रयाती के पास जाता है, पूरी ज़मीन कीचड़ से भर जाती है, रयाती जितना पीछे जाती वो दलन उतना ही फैलता जाता। दलन एक पहाड़ के रूप में विकसित होकर रयाती के सामने आ जाता है, एवं रयाती को अपने अंदर निगल जाता है। दलन दानव उसे विशाल डायन की भयानक गुफ़ा में पहुंचा देता है । उस गुफ़ा में जहां देखों वहां भयानक नज़ारा था । वहां कोई भी ना था,वहां आसमान ना होकर भी वहां बिजली कड़क रही थी। आग के बल्स एक दूसरे में टकरा रहे थे। तभी रयाती की मुलाकात ख़ुद के प्रतिबिंब से होती है। ख़ून से लथपथ उसका शरीर, शरीर के हर जगह टैटू बने हुए थे। देखने में वो प्रतिबिंब काफ़ी डरावना था। दूसरी तरफ़ रयाती को उसका सच बताने के लिए दोनों साथी प्रिंस के पास वह दरवाज़ा लेकर जाते है, वो दोनो प्रिंस को महाराज के साथ हुई सभी बातों के बारे में बताते है। वहां भांजा गुरु भी मौजूद था, वह उस दरवाज़े का इस्तमाल करने से पहले चितावनी देता है कि यदि किसी को आने में देरी हुई तो वो विशाल डायन के संसार में पहुंच जाएगा एवं वहां से निकलने का मतलब है ख़ुद की मौत । 

प्रिंस उन दोनों के साथ रयाती के भूतकाल में पहुंच जाता है। सब पहले जैसा था, प्रिंस और प्रिंसेस रयाती के घर में रयाती को समझा रहे थे। तभी भविष्य से आया हुआ प्रिंस उनके पास जाता है । उन सभी को भविष्य में गठित हुई कहानी को सुनता है, रयाती परेशान हो चुकी थी, अपनी शक्ति को जान कर भी वह ख़ुद को समझ नहीं पा रही थी। प्रिंस रयाती को समझाता है कि वो अपनी शक्ति से उस डायन का सामना कर पाएगी, तभी अचानक कमरे में अंधेरा हो जाता है हर कोई घबरा जाता है तभी वहां विशाल डायन की गुड़िया वहां दिखाई देती है, उस गुड़ियां के बाल कांच से बने हुए थे, उसके मुंह से मक्खियां, कीड़े, मकोड़े आदि निकल रहे थे । वह बिना चितावनी दिए सभी पर हमला शुरू कर देती है । सभी उसके हमले से बचने के लिए इधर उधर भागते है। भूतकाल में भी डायन अपना राज जमा चुकी थी । भूतकाल के सभी सदस्य उसकी भेजी गुड़ियां के घर में कैद हो चुके थे, परंतु भविष्य से आए हुए प्रिंस और उसके साथी उसके घर में कैद नहीं होते। क्योंकि वह भविष्य से आए थे । वो गुड़ियां अचानक एक बच्ची में बदल जाती है और रयाती, प्रिंस प्रिंसेस के साथ खेलना शुरू कर देती है । वह खेल में इतना खो जाती है कि भुल जाती है कि भविष्य से आए हुए तीनों लोग उसके गुड़िया घर से भाग गए है ।

तभी वहां कमरे में रखे हुए शीशे में एक रोशनी दिखती है वह गुड़ियां को कहती है, ऐ मूर्ख फिर से खेलना शुरू कर दिया, वो तीनों भाग चुके है और तुम वहां घर घर खेल रही हो । वह रोशनी गुड़िया को हवा में उठा लेती है गुड़िया के माफ़ी मांगने पर उसको माफ़ करती है। दूसरी तरफ़ जैसे ही प्रिंस और उसके साथी दरवाज़े के पास पहुंचते है, वह दरवाज़ा उस जगह नहीं था । सभी परेशान हो जाते है । अगले भाग में हम पढेगे भविष्य के प्रिंस और उसके साथियों का गुड़िया से मुक़ाबला, दूसरी तरफ़ रयाती कैसे अपने ही दूसरे रूप से लड़ती हैं ।
कहानीकार: प्रतीक सक्सेना
 

vasudha

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