प्रधानमंत्री द्वारा किशनगंगा जलविद्युत पावर स्टेशन, श्रीनगर (जम्मू व कश्मीर) में राष्ट्र को समर्पित

punjabkesari.in Friday, Jun 01, 2018 - 02:40 PM (IST)

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज एनएचपीसी का किशनगंगा जलविद्युत पावर स्टेशन (330 मेगावाट) राष्ट्र को समर्पितस किया गया। यह कार्यक्रम श्री एन. एन. वोहरा, राज्यपाल, जम्मू व कश्मीर, सुश्री महबूबा मुफ्ती, मुख्यमंत्री, जम्मू व कश्मीर, केंद्रीय मंत्री, श्री नितिन गडकरी, डॉ. जितेंद्र सिंह व श्री आर.के. सिंह की गरिमामयी उपस्थिती में शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय कनवेन्शन सेंटर, श्रीनगर में आयोजित किया गया। जम्मू व कश्मीर राज्य से उप मुख्यमंत्री श्री कविंदर गुप्ता, ऊर्जा विकास मंत्री श्री सुनील कुमार शर्मा, डिप्टी स्पीकर श्री नजीर अहमद खान, संसद सदस्य डॉ. फारुक अब्दुल्ला, संसद सदस्य श्री मुजफ्फर हुसैन बेग के साथ श्री अजय कुमार भल्ला, सचिव (विद्युत), भारत सरकार, श्री बलराज जोशी, अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक, एनएचपीसी, श्री रतीश कुमार, निदेशक (परियोजनाएं), एनएचपीसी, श्री एन.के. जैन, निदेशक (कार्मिक), एनएचपीसी, श्री एम.के. मित्तल, निदेशक (वित्त), एनएचपीसी और केंद्र व राज्य सरकार तथा एनएचपीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे। 

 

इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री जी ने चरम मौसम की स्थिति और भौगोलिक तथा भूगर्भीय चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने हेतु किशनगंगा जलविद्युत पावर स्टेशन की पूरी टीम की सराहना की तथा पावर स्टेशन को संचालित करने को जम्मू व कश्मीर और अन्य राज्यों की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में एक प्रमुख कदम बताया। माननीय प्रधानमंत्री ने किशनगंगा पावर स्टेशन को पूरा करने में सहयोग देने के लिए सभी संबंधित लोगों को धन्यवाद दिया।
इससे पूर्व, श्री आर.के. सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, भारत सरकार ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया एवं परियोजना को पूरा करने हेतु दिए गए समर्थन के लिए सभी संबंधित लोगों का धन्यवाद किया। माननीया मुख्यमंत्री (जम्मू व कश्मीर) सुश्री महबूबा मुफ्ती ने भी सभा को संबोधित किया और आशा व्यक्त की कि यह पावर स्टेशन पूरे क्षेत्र और राज्य को विकसित करने में मदद करेगा। 

 

जम्मू व कश्मीर के बांदीपोरा जिले में स्थित किशनगंगा पावर स्टेशन किशनगंगा नदी  पर एक बहते पानी की योजना है जिसे जुलाई 2000 में जम्मू व कश्मीर सरकार और विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा एनएचपीसी को निष्पादन करने के लिए सौंपा गया था। यह परियोजना भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि, 1960 के अंतर्गत आती है और इस परियोजना का निर्माण करने के लिए भारत के अधिकार को 2013 में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन, हेग द्वारा सही ठहराया गया था। इस पावर स्टेशन की संस्थापित क्षमता 330 मेगावाट (3 x 110 मेगावाट) है और इसे 90% आश्रित वर्ष में 1713 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

 

23.20 कि.मी. लंबी टनल के माध्यम से पानी को डाइवर्ट करने के लिए गुरेज़ में 37 मीटर ऊंचा बांध बनाया गया, जिसमें से 14.75 कि.मी को टनल को अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन का उपयोग करके निष्पादित किया गया है। पावर स्टेशन की सभी यूनिटों को 30 मार्च, 2018 को ग्रिड के साथ सिंक्रोंनाइज़ कर दिया गया है। इस परियोजना की लागत लगभग 5882 करोड़ रुपए है। यह पावर स्टेशन जम्मू व कश्मीर राज्य को 13% नि:शुल्क विद्युत (स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के लिए 1% सहित) उपलब्ध कराएगा, जिसका मूल्य प्रतिवर्ष लगभग 133.6 करोड़ रूपए होगा। आज देश में, एनएचपीसी जलविद्युत परियोजनाओं के विकास के क्षेत्र में एक अग्रणी संगठन है। इसने 2 संयुक्त उद्यम परियोजनाओं सहित 7071.2 मेगावाट की संयुक्त संस्थापित क्षमता की 24 परियोजनाएं (सहायक कंपनियों एवं नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं सहित) संचालित की है। कंपनी के पास दो परियोजनाएं (2800 मेगावाट) निर्माणाधीन हैं।
 


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