जनसंख्या वृद्वि बन रही परेशानी का सबब

Thursday, Jun 27, 2019 - 03:29 PM (IST)

हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बनती जा रही है। आज आप कहीं भी चलें जाएं- अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बैंक, बाजार, सिनेमा, माॅल, सरकारी संस्थानों आदि हर जगह भीड का एक सैलाब देखने को मिलता है। विश्व में हर साल 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस मनाया जाता है और सेमिनार लगाए जाते हैं ताकि जनता को जागरुक किया जाए। विश्व जनसंख्या दिवस की अहमियत हमारे लिए जगरुकता के रुप में भी महत्वपूर्ण हो गई है। हमारा हाल यह है कि हम 3-जी, 4-जी मोबाईल, फेसबुक, व्टसएप, गुगल, नई गाडियों कैमरे, मोबाइल एपस, नए कपडे़ के बारे में तो नई से नई जानकारी रखते हैं परन्तु बढती जनसंख्या और उसके परिणामों के प्रति बिल्कुल सजग नहीं हैं।

जिस कारण हमारे देश की आबादी प्रतिवर्ष बढती जा रही है। विश्व जनसंख्या दिवस 1987 से मनाया जा रहा है। 11 जुलाई, 1987 में ही विश्व की जनसंख्या 5 अरब हुई थी। तब से इस विशेष दिन को विश्व जनसंख्या दिवस घोषित कर हर साल एक याद और परिवार नियोजन का संकल्प लेने के रुप में याद किया जाने लगा। हर राष्ट में इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि आज दुनिया के हर विकासशील और विकसित दोनों तरह के देश जनसंख्या विस्फोट से चिंतित हैं। विश्व की कुल आबादी का आधा या कहें इससे अन्य एशियाई देशों में शिक्षा और जागरूगता की बजह से जनसंख्या विस्फोट के गंभीर खतरे साफ दिखाई देने लगे हैं। आलम यह है कि भारत ने अपनी जनसंख्या वृद्वि पर रोक नहीं लगाई तो वह 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा।

                                                                                                                                                                                           जीवन धीमान
                                                                                                                                                                                            नालागढ़।




 

Tanuja

Advertising