कविता - लॉकडाउन में फंसी जिंदगी

punjabkesari.in Tuesday, May 05, 2020 - 06:23 PM (IST)

आपदा में है देश फंसा
विपदा बड़ी ये भारी है
घरों में ख़ुद को कैद करो
देश बचाना जिम्मेदारी है।

घर में तुम जो नहीं टिके
आना-जाना तुम्हारा जारी है
वक्त रहते संभल जा ए बंदे
वरना यह जानलेवा बीमारी है।

दिशा-निर्देशों की अवहेलना
यह देश के साथ गद्दारी है
घरों में ख़ुद को कैद करो
देश बचाना जिम्मेदारी है ।

देश का हो प्रधानमंत्री या
स्वास्थ्य विभाग का प्रभारी हो
नजरंदाज करने वाले आये चपेट में
चाहे वो प्रिंस चार्ल्स हो या भिखारी हो।

चीन अमेरिका हो या इटली
या फिर फारस की खाड़ी हो, 
सारे विश्व में है हाहाकार मचा
यह कैसी भयावह महामारी है।

संकट से उबारने में जो भी लगे
सबका यह राष्ट्र आभारी है
घरों में ख़ुद को कैद करो
देश बचाना जिम्मेदारी है ।

 (अँकित आजाद गुप्ता)
 


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Author

Riya bawa

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