ऐ मेरे प्यारे इंसान,  ढेर सारा आशीर्वाद और ढेर सारा ज्ञान

punjabkesari.in Friday, Jul 06, 2018 - 02:43 PM (IST)

ऐ मेरे प्यारे इंसान,  ढेर सारा आशीर्वाद और ढेर सारा ज्ञान,
   बस तुझसे थोड़ा सा  नाराज हूं,  इतना पहले न था जितना आज हूँ ,
 
फिकर है तुम्हारी तो लिख रहा हूं,  शायद थोड़ा लाचार सा भी आज दिख रहा हूँ, 
    तेरा ये ऐसा हाल क्यूं है, जो नहीं है उसका इतना भार क्यूं है,

जानता हूँ बढ़ गई हैं चाहतें तेरी, बिगड़ गई हैं आदतें तेरी,
   कोहिनूर से कोयले तक, जीवन का तेरा सार हो गया, 

कहां है इंसानियत तेरी या उसका भी व्यापार हो गया, 
  जो चला था तेरे लिए काटों पर, बाग़ उसी का तुने उजाड़ दिया,

जिस पेड़ की शाखाओं ने तुझे संभाला, आज उसी को तुने उखाड़ दिया,
  समतल जो कभी तराजू था, कायरता तेरी से वो झुक सा गया है, 

तेरी ये मैंने कुदरत बनाई, लिया उसी से तूने मोड़ मुख सा है, 
  औकात का  कोई निशान नहीं है, 

जिस आरजू से तेरा रचन रचाया, दिखता उसी का कोई आसार नहीं है,
    करनी तेरी का ये कैसा हाल है, आज पीहू बारिश में भी बेहाल है, 

अरे कुछ तो सोच विचार, औरों पर नहीं अपनी अक्ल पर पत्थर मार, 
  सासों की डोर को असीम न समझ, गिनती के है पहर चार,

जिंदगी पर इतना यकीन न समझ, 
   जहर का छिड़काव न कर, कर्मो की खेती में, 

निम्रता में है जितना भरता, उतना खाली है हठी में,
   छोड़ अहम और दरिया बन, नेकी का उसमें दाना डाल,

समय की इस दौड़ में तू अपनी जीवन जोत संभाल,
  अगर चाहते हो तुम तेज दौड़ना, तो भीड़ से तू बाहर निकल,

जीवन की इस अँधेरी नगरी में, बन दीपक तू बाहर निकल,
 फ़ैल समंदर की गहराई की तरह, तंग दिली से तू बाहर निकल,
   
समय के इस सफर में , बन इंसान तू इंसान बाहर निकल,
    
                                                                                     
  नरिंदर सिंह  98550-73987


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