*बाक़ी है*
punjabkesari.in Tuesday, Jul 24, 2018 - 04:18 PM (IST)
*बहुत जखम सह लिए मगर निशान अब भी बाक़ी है,*
*लाख दिए हैं इम्तहान पर अंजाम अब भी बाक़ी है.*
*गिराते रहे तुम सितम की बिजलियाँ हर मोड़ पर,*
*मगर इस सफ़र की मंजिल अब भी बाकी हैं.*
*रूहों को मिलाने की करते रहे नाकाम कोशिश,*
*फरेबी चेहरो पर झूठ के नकाब अब भी बाक़ी है.*
*बेसक खाई हो कसमे मुहबत में मुकाम तक जाने की,*
*मगर आवाज़ में दरारें अब भी बाकी हैं.*
*तोड़ दिए रिश्ता तुमने पाक दिलों का,*
*मगर “हर्ष” इन आंखों में इंतज़ार अब भी बाक़ी है.*
*प्रमोद कुमार हर्ष*