जीवन में कुछ विशिष्ट करने के लिए सकारात्मक नजरिये की आवश्यकता*

Saturday, May 26, 2018 - 03:44 PM (IST)

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी ने दीक्षान्त समारोह को जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए कहा कि यहां किताबी पढ़ाई समाप्त और जीवन की लड़ाई प्रारम्भ होती है। उन्होंने विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम की सलाह देते हुए जीवन में सफलता प्राप्त करने के 4 मंत्र, व्यक्तित्व विकास पर कार्य करना, अच्छे काम की तारीफ करना, किसी की अवमानना न करना तथा किसी भी कार्य को अच्छे से अच्छा करने के निरन्तर विचार करते रहना, बताये। उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बढ़ती संख्या को महिला सशक्तीकरण का प्रभाव बताते हुए उन्होंने इसे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा शुरू किये गये ‘सर्वशिक्षा अभियान’ तथा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना का परिणाम बताया।

 

राज्यपाल जी आज यहां डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में आयोजित चतुर्थ दीक्षान्त समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे विश्वविद्यालय के चार दीक्षान्त समारोह में सम्मिलित हुए हैं। विश्वविद्यालय ने इस अवधि में प्रशंसनीय प्रगति की है। दीक्षान्त समारोह में कुल 829 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गयीं। इनमें से सर्वाेच्च स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को राज्यपाल श्री राम नाईक जी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा 39 स्वर्ण, 32 रजत, 32 कांस्य कुल 103 पदक प्रदान किये गये। राज्यपाल जी ने कहा कि विगत एक वर्ष में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के विकास हेतु अनेक बड़े कदम उठाये गये हैं। इनमें यू0पी0 इन्वेस्टर्स समिट-2018 का आयोजन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इस आयोजन के माध्यम से राज्य सरकार ने विभिन्न उद्यमी संस्थाओं के साथ प्रदेश में 4 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक निवेश के करार किये हैं, जिससे राज्य में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। 

 

समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। इसके साथ भेदभाव सृष्टि के साथ अन्याय है। अपनी मेधा, प्रतिभा, लगन, परिश्रम से विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाली दिव्यांग विभूतियों ऋषि अष्टावक्र, सन्त सूरदास, वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग, एवरेस्ट विजेता अरुणिमा सिन्हा, आई0ए0एस0 अधिकारी सुहास एल0वाई0 आदि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिभा हर मनुष्य में होती है। यह किसी व्यक्ति, जाति की मोहताज नहीं है। प्रतिभा को मंच की आवश्यकता होती है। डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय यही मंच देने का कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जीवन एक कला है। धैर्य के साथ अपनी ऊर्जा और प्रतिभा को समुचित ढंग से प्रयोग करने वाले के लिए कुछ भी कठिन नहीं है। जीवन में कुछ विशिष्ट करने के लिए सकारात्मक नजरिये की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकार दिव्यांगजन के कल्याण के लिए सतत कार्यरत है। इस उद्देश्य से अनेक कदम उठाये गये हैं। 

 

प्रधानमंत्री जी स्वयं इन कार्याें की माॅनीटरिंग करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार डाॅ0 शकुन्तला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में अध्ययनरत दिव्यांगजन के कल्याण, प्रोत्साहन और स्वावलम्बन के लिए हर सम्भव प्रयास करेगी। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रख्यात सामाजिक कार्यकत्री पद्मश्री डाॅ0 उमा तुली ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षा ऐसा यंत्र है, जिससे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। प्रदेश सरकार द्वारा डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के माध्यम से दिव्यांगजन की शिक्षा के लिए की गयी पहल को अनूठा बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा ही प्रयास अन्य राज्य सरकारों द्वारा भी किया जाना चाहिए। डाॅ0 तुली ने कहा कि दिव्यांग और सामान्य बच्चों को एक साथ शिक्षित करने हेतु समावेशी शिक्षा पद्धति को उच्च शिक्षा के अतिरिक्त, प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था में भी अपनाया जाना चाहिए। 

 

डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में शिक्षा के साथ खेल-कूद की व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए उन्होंने इसे विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा और प्रशिक्षण को रोजगारोन्मुखी बनाया जाना चाहिए। इसके लिए उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप शिक्षा एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। समारोह को सम्बोधित करते हुए दिव्यांगजन सशक्तीकरण मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय पूरी दुनिया में समावेशी शिक्षा को मूर्तरूप देने वाला अनूठा विश्वविद्यालय है। यहां पर दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए बाधारहित परिसर की व्यवस्था अत्यन्त सराहनीय है। उन्होंने उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। 

 

समारोह के प्रारम्भ में अपने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय के कुलपति श्री प्रवीर कुमार ने कहा कि डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2008 में दिव्यांगजन को अनुकूल वातावरण में शिक्षा प्रदान करने के लिए की गयी थी। वर्तमान में विश्वविद्यालय में 8 संकाय, 29 विभाग कार्यरत हैं, जिनमें लगभग 5,000 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में दिव्यांग और सामान्य विद्यार्थियों को एक साथ समेकित रूप से शिक्षा दी जाती है। दिव्यांग विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा, छात्रावास एवं भोजन की व्यवस्था उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही विश्वविद्यालय में ब्रेल प्रेस प्रारम्भ हो जाएगा। विश्वविद्यालय के स्टेडियम का कार्य भी तेजी से चल रहा है। इस अवसर पर अन्य जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षकगण तथा बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे।

Punjab Kesari

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