मेरी मां जननी, जीवन दात्री

Wednesday, Jan 30, 2019 - 12:46 PM (IST)

मां.. वो एक शब्द ,जो हर रिश्ते के साथ लग कर बस जैसे अधूरी दास्तां को बयां कर जाए....
वो जो नानी के साथ लग जाए तो, ननिहाल जाना सफल हो जाए... नानी मां ,...नानी
मां करते हुए जब वो नन्ही सी जान आए, तो क्यों ना वो मां, जिसने उसकी मां को
है जन्मा, उसे गले से लगाए।
हां... वो जो दादी के साथ लग कर, कहानी का वो अहम रोचक हिस्सा धीमे से सुना जाए, हां वो मां क्यों न फिर कहानी सुनाए ,जब जो नन्ही परी .. दादी मां...दादी मां करते हुए उसके पास आए ......
हां उसके पास आए और एक ही मुस्कान में ये कह जाए.....के मां... सुन न ....बस मुझे जन्म देने वाली वही एक मां नहीं है, तुमने भी तो मां होने के फर्ज़ है निभाए।
पता है ..जब ओस की बूंद के जैसे आई थी मैं धरा पर तो दादी मां... तुम ही तो थी वो पहली सक्श जिसने देखीं थी मेरी अदाएं ...बताया था मां ने... के जब वो नहीं थाम सकती थी मुझे तो.... तो तुमने ही तो थे ... हाथ आगे बढ़ाए...
 नानी मां तुम नहीं थी वहां चाहे...पर फर्ज़ तो तुमने भी सारे निभाए...शुक्रिया तो कैसे ही अदा करु...मां ... बस मेरी मां... ... जननी.. जीवन दात्री ... (मेहुल जैन)

vasudha

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