माँ...

Tuesday, Apr 16, 2019 - 11:39 AM (IST)

इतनी अच्छी क्यूँ हो तुम
बचपन से ही सोचती सब का
कितना ख्याल रखती हो तुम
कोमल दिल पिघल जाता तुम्हारा
सबको अच्छी लगती तुम
 
दौड़ दौड़ कर करती काम
प्यार से सब को खिलाती खाना
खुद भुखी रह जाती हो तुम
कभी बच्चो का कभी पति का
सास ससुर का भी करती तुम
इतनी अच्छी क्यूँ हो तुम
 
जब कभी बच्चो को डांटती
रो पड़ती खुद ही जब
कितना प्यार छुपा है आंचल में
मालूम पडता बच्चो को तब
इतनी अच्छी क्यूँ हो तुम

सुना हो जाता है घर
जब कभी नहीं होती हो तुम
आ जाती घर में रौनक
जैसे ही आती हो तुम
इतनी अच्छी क्यूँ हो तुम

दिन रात भी नहीं देखती
थक जाती फिऱ भी
लगी रहती हो क्यूँ तुम
हर समय चिंता करती सब की
बस नहीं करती अपनी तुम
इतनी अच्छी क्यूँ हो तुम

इतनी कोमल हो कर भी
कैसे सह लेती सब दुःख तुम
मुस्कुराती रहती हो हर पल
कोई न जान पाया अब तक
राज़ क्या है आखिर यह माँ का
बहूत ही अच्छी हो तुम
पर इतनी अच्छी क्यूँ हो तुम
पर इतनी अच्छी क्यूँ हो तुम

 Anita Mittal Gupta 

Isha

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