“मेरी माँ”
punjabkesari.in Monday, Dec 28, 2020 - 04:45 PM (IST)
माँ क्या है,
माँ वो है जिसका चरित्र सुदेश है
माँ वो है जिसकी आकृति सुदेश है
माँ का प्रणय सुदेश है
माँ का प्रत्यय सुदेश है...
माँ नाम ही नहीं अपितु...,
हर दिल में बसा उसका प्रतिरूप सुदेश है...!!**
माँ तुम नाम से तो सुदेश हो...,
व्यक्तित्व से भी सुदेश हो...!!**
माँ तुम अतुल्य हो, माँ तुम श्रेष्ठ हो...,
माँ तुम जैसा और कोई ना विशेष हो...!!*
माँ के प्रणय के नूर की कोई सीमा ना हो
माँ के प्रणय का साझी स्वयं कार्तिक हो
माँ तुम एक कनव मणि के समान हो जिसका हार्दिक स्वागत समस्त सृष्टि करती हैं...!!*
माँ जी चाहता है आँखों से ले लूँ मै बलाएँ तेरी
नज़र ना लगे तुझे कर लूँ नज़रों में बंद आकृति तेरी...!!*
सेहरा की तपती रेत पर चल......
बहुत सहन किया,बहुत बरदाशत किया...,
माँ तमाम ज़िंदगी बड़ी शिद्दत से तुमने गुज़ारी..
मेरे माज़ी (अतीत) को सैलाब से खुदाया..,
माँ रूपी पतवार के सहारे,
तुमने यहाँ तक पहुँचाया..!!**
माँ तुमने न्योछावर कर दिया...
हमपर तमाम जीवन अपना, पर तुम ना थकी...!!
माँ अब जब ये दिख गया था...,
तेरे प्रदान किए सभी फल पक गए हैं...,
और उसका रस तू धिरे - धिरे चख रही थी...!!**
“ईश” जाने अचानक फिर तू क्यों थक गई...!!
Rajneesh Chadha
(रजनीशचड्ढा)