लोक सभा अध्यक्ष के विचार

punjabkesari.in Friday, Jun 26, 2020 - 04:18 PM (IST)

19 जून 2020 को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर लिया। महज एक साल में वे अपनी कार्यशैली की अमिट छाप छोड़ने में कामयाब हुए हैं। 19 जून 2019 को लोकसभा अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद माननीय ओम बिरला ने सदन के सफल संचालन के साथ ही ना सिर्फ कई पुरानी परंपराओं में बदलाव किया बल्कि संसद में कई महत्वपूर्ण नवाचारों की भी शुरुआत की। संसद की गरिमा सर्वोच्च बनी रहे इसके लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। उनका पूरा प्रयास रहता है कि प्रश्न काल में अधिक से अधिक प्रश्न पूछे जाएं। उनकी अध्यक्षता में 27 नवंबर 2019 47 वर्षों बाद इतिहास रचा गया। इस दिन लोक सभा में प्रश्नकाल की सूची में शामिल सभी 20 प्रश्न पूछे गए और इनका उत्तर संबंधित मंत्रियों ने दिया।

माननीय ओम बिरला के अध्यक्ष बनने के बाद से प्रश्नकाल के दौरान करीब 8 से 10 पूरक प्रश्न पूछे जाते हैं. इससे पहले लोक सभा में अधिकतम 5 से 6 पूरक प्रश्न ही आ पाते थे. यही नहीं उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान माननीय सांसदों के संक्षिप्त प्रश्न और संबंधित मंत्रियों की तरफ से संक्षिप्त जवाब की नई परंपरा शुरू की है। तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो 1996-2018 तक की लंबी अवधि में प्रश्नकाल का औसत 3.5 प्रतिशत रहा। लेकिन 2019 में 17वीं लोक सभा के पहले साल में ही, प्रश्नकाल का औसत बढ़कर 6.68 फीसदी हो गया है। जाहिर तौर पर इसका श्रेय सांसदों के साथ ही लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों को जाता है।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला का हमेशा प्रयास रहता है कि सदन में ज़्यादा से ज़्यादा कामकाज हो. उनकी अध्यक्षता में शून्यकाल के दौरान एक दिन में सत्तापक्ष और विपक्ष के 84 सांसदों ने अपनी बात रखी जो अब तक का रिकॉर्ड है। खास बात यह भी कि 84 में से 49 नए संसद सदस्य थे जो शून्यकाल में अपने अपने संसदीय क्षेत्रों के मुद्दों को संसद में उठा सके।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की कोशिश रहती है कि सदन में ज़्यादा से ज़्यादा नए सदस्यों की भागीदारी हो सके। वे नए सांसदों का मनोबल बढ़ाते हैं। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में 19 जून से 4 जुलाई 2019 के बीच सदन में 130 नए सदस्यों को बोलने का अवसर मिला. भारत के संसदीय इतिहास में यह पहला मौका था जब इतनी संख्या में नए सांसदों ने संसद में अपनी बात रखी।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला सदन में हिन्दी के अधिकाधिक प्रयोग को प्राथमिकता देते हैं। सदन का संचालन करते वक्त वे स्वयं हिन्दी का प्रयोग करते हैं. उनका आग्रह रहता है कि ज़्यादा से ज़्यादा कामकाज हिंदी में हो. यही वजह है कि संसद में अब आइज और नोज की जगह अब हां और ना ज्यादा सुनाई देता है. जिन संसदीय प्रक्रियाओं में अब तक अंग्रेज़ी का प्रयोग होता रहा है वहां भी उन्होंने हिंदी में कामकाज की शुरुआत की है।

लोकसभा की कार्यवाही का संचालन निष्पक्ष, निर्विघ्न व निर्बाध रूप से हो इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला हमेशा प्रयासरत रहते हैं. वे सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने वालों को हमेशा टोकते हैं, चाहे वह सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के। उनकी नज़र में सभी माननीय संसद सदस्य एक बराबर हैं। लोक सभा अध्यक्ष की कार्यशैली की सभी दलों के सांसद भी भूरि भूरि प्रशंसा करते हैं. उनके सहयोग और समर्थन से ही लोक सभा अध्यक्ष को सदन के निष्पक्ष संचालन में मदद मिलती है. संसदीय कार्यवाही को सफलतापूर्वक आदर्श रूप में चलाने के लिए तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय कई बार लोक सभा अध्यक्ष की तारीफ कर चुके हैं. संतोष का विषय यह भी है कि अध्यक्ष पीठ की गरिमा बनाए रखने में, लोक सभा स्पीकर ओम बिरला की भूमिका की प्रशंसा, सत्ताधारी दल के सदस्यों समेत विपक्षी नेता भी करते हैं।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की कोशिश रहती है कि वे ज्यादा से ज्यादा समय अध्यक्ष पीठ पर बैठें ताकि माननीय सदस्यगण ठीक से अनुशासन का पालन करें. सदन में गंभीर चर्चाओं के दौरान वे सुनिश्चित करते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा सांसदों की
उपस्थिति एवं भागीदारी बनी रहे।

सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर वे संसद में सबसे पहले अपने विचार रखते हैं. साथ ही सभी संसद सदस्यों से लगातार अपील भी करते हैं. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी सांसदों को सदन में पेश होने वाले विधेयकों से संबंधित ज़रूरी जानकारी उपलब्ध हो। इसी दिशा में हर विधेयक से पहले संबंधित विशेषज्ञों द्वारा सांसदों को जानकारी देने के कार्यक्रम की शुरुआत की गई। उन्होंने विधेयक के सूचीबद्ध होने से कम से कम एक दिन पहले इसके बारे में सदस्यों को जानकारी दिए जाने की व्यवस्था की है। संसद सदस्यों के ज्ञान में वृद्धि के उद्देश्य से 'ऑनलाइन रेफरेन्स' सुविधा की शुरुआत भी की गई है। संसद में ऑनलाइन प्रणाली विकसित करना, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला की प्रमुख कार्य योजनाओं में से एक है। संसदीय कामकाज की डिजिटल प्रणाली विकसित करने के साथ ही संसद में डिजिटल पेमेंट की शुरुआत करने की दिशा में भी उनके प्रयास लगातार जारी हैं। लोक सभा अध्यक्ष का हमेशा जोर रहा है कि संसदीय लोकतंत्र से संबंधित जानकारियां आम जनता तक पहुंचे. इसी उद्देश्य से संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान PRIDE की स्थापना की गई है जिसमें वरिष्ठ सांसद भी अपने अनुभवों को जिज्ञासुओं के साथ साझा करते हैं।

माननीय ओम बिरला के लोक सभा अध्यक्ष बनने के बाद से संसद की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. 17वीं लोक सभा के पहले सत्र में 19 जून से लेकर 6 अगस्त 2019 के दौरान सदन में कोई व्यवधान नहीं हुआ. देश में 67 साल बाद बिना व्यवधान वाला सत्र संपंन हुआ। लोक सभा में रिकॉर्ड 35 विधेयक पारित हुए. संसदीय कामकाज की दृष्टि से, इस सत्र की उत्पादकता 137 फीसदी रही। इससे पहले वर्ष 1952 में लोक सभा गठन के बाद पहली बार प्रथम वर्ष के प्रथम सत्र में सर्वाधिक 35 विधेयक पारित हुए थे। इसके बाद 18 नवंबर से 13 दिसंबर 2019 तक आयोजित शीतकालीन सत्र की उत्पादकता 116 फ़ीसदी रही. इस दौरान 14 महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए. इसी प्रकार बजट सत्र 2020 की उत्पादकता 90 फ़ीसदी रही. इस दौरान 12 अहम बिल पारित हुए। पिछली तीन लोक सभाओं की उत्पादकता की तुलना की जाए तो 17वीं लोक सभा की प्रोडक्टिविटी में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। 15वीं लोक सभा की ओवरऑल उत्पादकता 85 फीसदी थी वहीं 16वीं लोक सभा की उत्पादकता 89 फीसदी रही। 17वीं लोकसभा का अभी सिर्फ एक वर्ष पूर्ण हुआ है लेकिन इस दौरान संपंन हुए तीन सत्रों की ओवरऑल उत्पादकता बढ़कर 110 फीसदी है। भारतीय लोकतंत्र के लिए यह शुभ संकेत है।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी राज्यसभा एवं लोकसभा सांसदों के जन्मदिन पर उन्हें शुभेच्छा प्रेषित करने की शुरुआत की है। अपने ऑफिशियल फेसबुक अकाउंट एवं टि्वटर हैंडल से शुभकामनाएं प्रेषित करने के साथ ही लोक सभा टीवी भी इस कार्य में संलग्न है। सभी माननीय सांसदों को जब डिजिटल माध्यम से जन्मदिन की शुभकामनाएं मिलती हैं तो वे काफी प्रसन्न होते हैं। लोक सभा अध्यक्ष ने सांसदों द्वारा सदन में रखी गई बात को, लोक सभा टीवी द्वारा उन्हें तुरंत ऑनलाइन उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की है। माननीय सांसदों को व्हाट्स एप के जरिए तुरंत उनका वीडियो प्रेषित किया जाता है।

लोक सभा अध्यक्ष संसद भवन परिसर को पूरी तरह कैशलेस बनाने के लिये भी लगातार प्रयासरत हैं. उन्होंने माननीय सांसदों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रीपेड कैश कार्ड उपलब्ध करवाए जाने की दिशा में पहल की। यही नहीं उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को राज़ी कर संसद भवन स्थित कैंटीन की सब्सिडी ख़त्म करवाई. देश की जनता ने इस फैसले की व्यापक स्तर पर सराहना की। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से संसद को पेपरलेस बनाने के लिए भी लोक सभा अध्यक्ष की कोशिशें लगातार जारी हैं. अधिकतम कार्य पेपरलेस हो इसके लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। पेपरलेस व्यवस्था से ना सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण होगा बल्कि प्रिटिंग के

खर्च भी बचेंगे। माननीय लोक सभा अध्यक्ष, संसद भवन निर्माण की 92वीं वर्षगाँठ पर प्रधानमंत्री से संसद भवन को और ज्यादा भव्य और वैभवशाली बनाने का भी आग्रह कर चुके हैं।

सदन के सफल संचालन के साथ-साथ संसद के खर्च को कैसे संतुलित किया जाए यह भी विचारणीय विषय था. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस दिशा में तुरंत प्रयास शुरू किए और अनावश्यक खर्चों में कटौती का आदेश दिया। मितव्ययता उनका मंत्र है और
इसके बूते वे लोक सभा के करीब 160 करोड़ रुपयों की बचत करने में कामयाब हुए हैं। माननीय ओम बिरला की कोशिश रहती है कि सदन का एक भी मिनट बेकार ना जाए। उनकी इसी दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि 67 वर्षों बाद उनकी अध्यक्षता में संपन्न हुआ पहला ही सत्र ऐतिहासिक रहा और लोक सभा में रिकॉर्ड कामकाज हुआ. संसद के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है और लोकतंत्र का यह मंदिर देश की 130 करोड़ जनता की आशा आकांक्षाओं को पूरा करने में सफल हो रहा है।

(पवन कुमार शर्मा)


 


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Riya bawa

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