कर्म अनिश्चित है, लेकिन फल निश्चित है
punjabkesari.in Sunday, Sep 20, 2020 - 01:31 PM (IST)
कर्म अनिश्चित है, लेकिन फल निश्चित है। मानव को सब पता है मगर निवार्ध व बेखौफ होकर बुरे कर्म कर रहा है। आखिर कब तक करेगा एक दिन ऐसा आएगा कि दो गज जमीन भी नसीब नहीं होगी। आज बुरे कर्मो के कारण अंधा हो चुका है और अंधाधुंध नीच कर्मो को अंजाम दे रहा है। मानव आज दानव बन चुका है। कर्म कभी नहीं छुपते सौ पर्द भी कुछ नहीं कर सकते। कर्मो का पिटारा खुल जाता है। सजा भी मिल रहीे है मगर अक्ल ठिकाने नहीं आ रही है। आज मानव खुुश हो रहा है कि बुरे कर्मो के कारण वह सब कुछ हासिल कर रहा है मगर उसे इस बात का इलम नहीं हो रहा है कि पल भर में सब धराशायी भी हो जाता है। आधुनिक समाज का मानव आज दानवों से भी घिनौने कर्म कर रहा है। ऐसे कर्म करती बार वह न तो दुनिया से डरता है और न ही भगवान से डरता है।एक दूसरे को नीचा दिखा रहे है। साक्षात उदाहरण है कि बुरे कर्मो की सजा मिलती है।औलादे नालायक है। नशा कर रही है। बीमारी से ग्रस्त हो रही है। असमय औलादें मौत के आगोश में समा रही है।
यह सब कर्मो का ही नतीजा तो है। अवैध तरीकों से धन कमाया जा रहा है। मजबूर लोगों का खून चूसा जा रहा है। आलीशान महल बनाए जा रहे है। कर्मो का फल जरुर मिलता है। पापी लोगों को साक्षात सजा मिलती है। कर्म कभी नहीं छोड़ते यह अटल सत्य है। नीच कर्मों की सजा जरुर मिलती है। यह अमर सत्य है। कर्मो को सुधारना चाहिए मगर माया के जाल में फितरती व गिरगिट इंसान अंन्धा हो चुका है।समय किसी को नहीं छोड़ता मानव आज मानव से नफरत कर रहा है। दूसरों का बुरा कर रहा है उनके जीवन में अन्धकार कर रहा है। समय बलवान है। समाज के लिए ऐसे कर्म करो कि समाज में एक मिसाल कायम हो जाए।नफरत को
खत्म करना होगा।हर इंसान से एक जैसा व्यवहार करना चाहिए किसी के साथ भेदभाव मत करो।वक्त के आगे कोई नहीं टिक सका है सभी को नतमस्तक होना पड़ता है।समय से डरो अच्छे कर्म करो। ईश्वर पल-पल का हिसाब लेता है।
इंसान नीच कर्मो की दलदल में धंसता जा रहा है।आज लोग नीच कर्म को ही सब कुछ मान बैठे है। कब तक नीच कर्म करोगें एक दिन पाप का अंत होगा।नीच कर्म मत करो, भगवान से डरो।हैवानियत को छोड़ दो इंन्सानियत को अपना लो। सदा किसी की नहीं चलती। राजा व महाराजा मिटटी मे मिल गए। किसी को दुख मत पहुंचाओ। आदमी को किसी के साथ भी धोखा नहीं करना चाहिए।किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।क्योंकि एक बार विश्वास टूट जाता तो फिर से कायम कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे मानव का जीवन व्यर्थ है जो दूसरों को दुख देता है। गरीब आदमी को कभी नहीं सताना चाहिए अगर गरीब की बददुआ लग जाए तो बड़े से बड़ा धराशायी हो जाता है इसलिए हर मानव को हमेशा मानव के लिए अच्छे कार्य करने चाहिए।मानव को ऐसे काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी उसे सदियों तक एक अच्छे इन्सान के रुप में हमेशा याद किया जा सके। पाप की पापलीला ज्यादा देर नहीं चलती।मेहनत व खून पसीना बहाकर कमाई गई रोटी में मिठास होती है। आदमी को वक्त से डरना चाहिए क्योंकि वक्त एक ऐसा तराजू है जिसके एक पलड़े में जिन्दगी और दूसरे पलड़े में मौत होती है जीवन और मृत्यु में सिर्फ सांसों का फासला है। जब इन्सान जिन्दा होता है तो कोई उसका हाल तक नहीं पूछता लेकिन जब संसार से रुखस्त हो जाता है तो हर आदमी मातम में
शामिल होने में अपनी शान समझतें है। जिन्होने जब जिन्दा था तो बात तक नहीं की होगी। जब जीता है तो एक जोड़ी कपड़ा तक नसीब नहीं होता मगर जब उसके किसी काम का नहीं होता उसके मृत शरीर पर सैंकड़ों चादरें डाली जाती है।
जीते जी जिसे घी नहीं मिलता जलाती बार मुहं में शुद्व देशी घी की आहुती दी जाती है जो व्यर्थ है।कहने का तात्पर्य यह है कि मानव की जीते जी सहायता कि जाए तो वही सच्ची मानवता कहलाएगी।आज लोगों के पास समय नहीं है इतना व्यस्त है कि रोटी खाने के लिये समय नहीं है। हर समय पैसा ही पैसा कमाने मे व्यस्त रहता है। भगवान के घर देर जरुर है मगर अन्धेर नहीं है। मानव आज दानवों की श्रेणी में आता जा रहा है। मंदिरों में कुकृत्य कर रहा है ऐसे कर्मो से वसुंधरा कांप रही है। ईश्वर की चक्की जब चलती है तो वह पाप और पापी को पिस के रख देती है।यह एक शाश्वत सत्य है। मानवता आज मर चुकी है चारों तरफ अन्धेर मचा हुआ है। चंद कागज के टुकड़ों व सोने के सिक्कौं के कारण आज मानव इतना अभिमान करता है कि दूसरे आदमी का अनादर करने में गर्व महसूस करता है। मगर पैसा तो एक वेश्या के पास भी होता है।वक्त का पहिया जब घूमता है तो कंगाल होने में देर नहीं लगती। मानव झूठ-फरेब करके अमीरी का लबादा पहन रहा है मगर झूठ के पांव नहीें होते। कभी न कभी झूठ लड़खडा सकता है मगर जो सच्चाई के पथ पर चलता है उसका बाल तक बांका नहीं होता तभी तो कहते है कि सांच को आंच नहीं आती। राजा को रंक बनने में एक पल भी नहीं लगता।
आज ईमानदार लोगों की कद्र नहीं है जबकि बेईमानों को पूजा जा रहा है मगर यह सर्वमान्य है कि हमेशा ईमानदारी की जीत हुई है बेईमानी औंधे मुंह गिरी है।बेइमानी की सदा हार हुई है। मानव आज मानव से नफरत कर रहा है।दूसरों का बुरा कर रहा है उनके जीवन में अन्धकार कर रहा है पर अगर खुदा को रोशनी होे मंजूर तो आंधियों में भी चिराग जलते है।आज हालात ऐसे हैं कि लोग अपने निजि स्वार्थो के लिए दूसरों को नुक्सान पहुचाने से भी नहीं चुकते जब ईश्वर की आंधी जुल्मों के खिलाफ चलती है तो पापियों का सर्वनाश होता है।चिथड़े उड़ जातें है उस फितरती मानव के जो नराधम बन कर लोगों का दमन करता है।मानव को हमेशा अतीत का आईना देखते रहना चाहिए ताकि अहसास होता रहे कि ऐसे भी दिन थे दिन एक जून की रोटी नसीब नहीं होती थी आज जब समय बदला तो अपना गुजरा हुआ वक्त भूल रहा है।आदमी भले ही कितना बड़ा बन जाए अतीत की परछाईयां उसका दामन नहीं छोड़ती मरते दम तक साथ रहती हैं। गलत काम करके पैसा अर्जित करके आलिशान महल बना रहा है मगर पल की खबर नहीं है।मानव को एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होना चाहिए। पुण्य सदियों तक रहता है। पुण्य करो जीवन सुधर जाएगा। अच्छे कर्म करो मानव बनो दानवता छोड़ दो।
(नरेन्द्र भारती)
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