जज्बाते इश्क़

Saturday, May 19, 2018 - 04:12 PM (IST)

जज्बाते इश्क़ बयां करूँ कैसे
उनसे झुकी नज़रे मिलाऊं कैसे
मन में प्यार का समंदर भर रहा है हिलोरें
किश्ती को पार लगाऊं कैसे
जल रही है इश्क की शमा चोरी चोरी,
उठ रही है मोहब्बत की रोशनी थोड़ी थोड़ी,
नूर ए शमा को छुपाऊं कैसे,
जज्बाते इश्क़ बयां करूँ कैसे.
फूलों पर चमक रही है शबनम की बूँदें,
बन अनजान अपनी आँखें मूंदे,
खूशबू ए गुल्फ्हाम को “हर्ष” छुपाऊं कैसे,
जज्बाते इश्क़ बयां करूँ कैसे.

 

प्रमोदमोद कुमार "हर्ष"

9625569934
 

Punjab Kesari

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