कोरोना की संकट घड़ी में कुछ आदतें बनानी पड़ेगी और कुछ छोड़ने पड़ेगी- आनंदश्री

punjabkesari.in Sunday, Sep 27, 2020 - 02:59 PM (IST)

पहले इंसान आदतें बनाता है फिर आदतें उसको बनाने लगती है। इंसान आदतों का ही पुलिंदा होता है, जैसी आदतें, वैसी व्यक्तित्व बनता है। आदतों पर चर्चा करना आज के लिए तो और भी प्रासंगिक बन जाता है। कुछ आदतों को बदलना पड़ेगा और कुछ आदतों को अपनाना होगा । जिसकी एक हल्की सी तस्वीर यहां पढ़ सकते हैं.वो आदत जो छोड़नी होगी-

1- शादी ब्याह, सार्वजनिक स्थानों में जाने से, भीड़ करने से बचना होगा।
2- भीड़भाड़ से एकांत भली।
3- किसी तरह की बीमारी होने पर घर में ही सबसे अलग रहना होगा, आयसोलेशन में रहना होगा। डाक्टरों के संपर्क में बने रहे।
4- सैलून और पार्लर जाने से भी बचना होगा और सावधानियाँ बरतनी होगी.
5- घर में किसी भी तरह के सामानों को लाकर उसे एक लंबे समय तक इस्तेमाल में लाने से बचना होगा.
6- कपड़े, रुमाल एंव मोबाइल को हमेशा साफ करके ही रखना होगा.
7- लोगों के घर आने-जाने और हाथ मिलाने या गले मिलने की परंपरा से भी बचना होगा.
8- सार्वजनिक जगहों पर थूकने, खाँसने या छींकने से परहेज करना होगा। 

अब वह आदतों पर ध्यान देते है जो हमे करना है, वो आदत जो हमें डालनी होगी -
1- मास्क, हैंड सेनेटाइजर और सामाजिक दूरी की आदत तो ज़रूर डालनी होगी, यह जीवन का हिस्सा बने। खुद के लिए  और  दूसरों की सुरक्षा के लिए भी। 
2- अति महत्वपूर्ण हो तो ही बाहर निकले।
3- किसी भी किस्म की बिमारी होने पर खुद को क्वरंटाईन करना ही होगा।
4- पब्लिक प्लेस के इस्तेमाल से बचना होगा व किसी भी यात्रा के दौरान बेहद सतर्कता बरतनी होगी.
5- हर कार्य मे सुरक्षा और सरकारी नियम को पहले रखे। 
6- किसी तरह के आयोजनों में सोशल डिस्टेंस के नियम को अपनाए रखना होगा।
7- अगर शक भी होता है कि किसी पाजिटिव मरीज़ के संपर्क में आए हैं तो बिना किसी देरी के खुद को अलग करना होगा और स्वास्थ्य विभाग के संपर्क में रहना होगा।
8- लिफ्ट, दूसरों का मोबाईल, लैपटाप इत्यादि चीज़ों का इस्तेमाल करने से बिल्कुल भी बचना होगा।
9- कोरोना के नाम पर बाजार में कुछ भी बेचा जा रहा है, स्वयम को ऐसे प्रभोलन से बचाये रखे। 
10- अपने विवेक का इस्तेमाल करें।

ऐसी दर्जनों आदतों को छोड़ना व अपनाना होगा, जबतक कोरोना वायरस की वैक्सीन या दवा नहीं बन जाती तब तक आत्मनिर्भर होकर खुद ही इससे बचना होगा और हम सब यह मिल कर सकते है।

(प्रो डॉ दिनेश गुप्ता - आनंदश्री)


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