मै हूँ किसान
Friday, Apr 13, 2018 - 02:46 PM (IST)
सूरज की रोशनी फूंक देती है सब में जान,
गुरु से मिलता है सदा ज्ञान,
पर सबका पेट भरने वाला,
मै हूँ किसान.
वारिस की बूंदों बरस जाओ जरा जोर से,
क्या हुआ जो घर मेरा टुटा है ,
पर खिल तो उठेगे मेरे खेत ख्लीह्हान,
सबका पेट भरने वाला मै हूँ किसान.
बीज के साथ बो रहा हूँ उमीदों को
कोशिश कर रहा हूँ तोड़ने क़र्ज़ की जंजीरों को
बिक न जाय मेरा कही मेरा स्वाभिमान
सबका पेट भरने वाला मै हूँ किसान,
कहने को तो में अन्नदाता हूँ
देश का भाग्य विधाता हूँ
फिर भी क्यू भूखे है मेरे बच्चे नादान
सबका पेट भरने वाला मै हूँ किसान.
अंधकार में जीवन रह जायगा
राजा का साथ ही नहीं तो
कैसे मौसम की मार सहन कर पायेगा
देश का कैसे होगा सम्मान
सबका पेट भरने वाला मै हूँ किसान……..
प्रमोद कुमार